Friday, December 31, 2010
From 2010 to 2011
Wednesday, November 24, 2010
( गोविंदा गोविंदा )
शादी के बाद कहीं भी नहीं गया था और ऑफिस से घर और घर से ऑफिस हो के मन भी बहूत थक चूका था। वैसे तो मुझे चेन्नई आये हुए ६ महीने से ज्यादा हो गया है मगर मुझे चेन्नई बोले तो ऑफिस-लोकल ट्रेन और मेरी बीवी के सिवा कुछ ज्यादा ज्ञान नहीं हैं। श्रीमती के रंग कुछ बदलता उससे पहले मैंने सोचा के चलो कहीं हो आते हैं और आपको तो मेरी गन्दी आदत के बारे मे पता ही है , और मेरे दोस्तों ने भी कहा है की मुल्ले की दौड़ मस्जिद तक और मेरी दौड़ किसी मंदिर तक। और मे भी इस कहावत की लाज रखते हुए बालाजी के दर्शन का प्लान बना लिया। क्यूँ की मे कभी गया ही नहीं तो श्रीमतीजी को ये भार सौंप दिया के धुन्दाके बताओ के कैसे जाना है और कहाँ जाना है तो मेरी श्रीमती जो की दो बार तिरुमाला पर्वत पर जा चुकी है, मुझे तुरंत आन्ध्र प्रदेश पर्यटन बिभाग द्वारा प्रचलित सेवा और दर्शन के बारे मे अबगत कराया। इर क्या बात थी म दोनों ने टिकिट कटवा लिया और निर्धारित तारीख पर पर्यटन कार्यालय के ऑफिस पहंच गए। क्यूँ के हमें बताया गया थे के जीन्स और था शर्ट बर्जित है तो मुझे ८०० रुपये का जुरमाना भी सहना पड़ा एक जोड़ी कुरता और पैजामा के रूप मे।
खैर कोई बात नहीं शाम ७ बजे हमारी यात्रा सुरु हुई . टी नगर तिरुपति मंदिर की तरफ हाथ जोड़ कर हमारी बस अपने मंजिल की तरफ बढ़ चली। बस वोल्वो थी और काफी आराम दायक भी थी। क्यूँ की ठण्ड लगने लगी तो नींद भी आ गई। एक अच्छी नींद के बाद करीब १० बजे हमारी गाडी एक होटल के पास रुकी, जगह का नाम तो पता के नहीं मगर जो खाना खाने के लिए रुके थे वो अछा नहीं था । पर करे तो क्या भूक जो लग रही थी तो दोनों ने रात को भी उपमा के साथ मसाला डोसा खाया और वापस गाडी मे बैठ गए। फिर गाड़ी भी चल पड़ी। कुछ डेड घंटे के बाद रात १२ बजे गाड़ी तिरुमलै परबत के निचे पहंच गए। वहां एक होटल मे हमें ठहराया गया और बोला गया के रात के ढाई बजे तैयार होके निकलने को। दो घंटे की आराम के बाद हमने नहा धो के ढाई बजे क़ुइक्क दर्शन के टिकेट के लिए लाइन मे लग गए। सुबह का ठण्ड थी और रिमझिम बारिशो की बूंदों ने हमें झपकी लेनेको मजबूर कर रही थी मगर लोगों की कतार ने हमें जगाये रखा। सुबह के करीब ५ बजे हमारे थुम्ब इम्प्रेस्सिओन के साथ एक ईद कार्ड बना दिया गया (इसके ५० रुपये भी टूर टिकेट मे जुदा हुआ था ) फिर हमें वापस होटल ले जाया गया जहाँ हमने गरम गरम इडली के साथ साम्भर मिला तो जान मे जान आई। फिर क्या था हमें वापस गाड़ी मे बैठ के भगवान् के दर्शन को ले जाया गया। हमारी झूंड का नेतृत्व गाइड रेड्डी साब ने संभाल रखी थी और उनकी पूँछ पकड़ के हम ४० लोग दर्शन को निकल पड़े। रेड्डी साब के साथ हम जैसे ही तिरुमलाई परबत माला के पास पहंचे तो वहां हमें भगवान् के चरणारविन्द नगर पहंचने के लिए आन्ध्र प्रदेश ट्रांसपोर्ट से एक बस की व्यवस्था थी। हम जैसे ही शिखर पर पहंचे जैसे मे भगवन के चरणों मे पहंच गया और मौसम के तो क्या कहने, घने बादलो ने कुछ ऐसा मंज़र बाँधा था के जैसे परबतमालाओ के बीच बसे भगवन के चरणों को जी जान से धोने का मन बनाया हो। काले बादलो ने पूरे पर्बत्मालयों को ढका हुआ था और आंधी भी चल रही थी , मगर भक्तो की भीड़ भी कुछ ऐसा उमड़ा हुआ था के क्या कहूँ। बड़ी सादगी से सब लोग झम झम बारिश मे भीगते हुए मगर बड़े ही शांत स्वभाव से भगवान के गुणगान करते हुए लम्बी लम्बी कतारों मे लगाइ हुए थे। सबके मुख से प्रेम से गोविन्दा गोविंदा की धुन जैसे समुच्चा बाताबरण को ब्रह्ममय और नैसर्गिक बना रही थी। मे भी सपत्निक भीड़ मे भगवन के दर्शन को चल पड़ा। झम झम बारिश के रूप मे जैसे भगवन बालाजी हमें अपने पावन आशीर्वाद से लाबालब कर रहे थे और तेज़ आंधी से जैसे हमारे सारे दुखो का हरण कर रहे थे। बड़े ही सुआयोजन के साथ लोग आगे बढ़ते गए और हमें भी दर्शन का अवसर मिला। करीब १०० मीटर की दूरी से भगवन की ब्रह्मप्रतिमा के दर्शन से जैसे मे मंत्रमुग्ध हो गया। क्या दिव्या दृश्य था भगवन के दोनों चरणों के पास दो पंडित बैठ के अनवरत मंत्रो का जाप कर रहे थे और सारे भीड़ से गोविंदा गोविंदा की आवाज़ से जैसे मे एल अलग सी दुनिया मे पहंच गया और मे मन ही मन बालाजी भगवन को धन्यवाद देने लगा। मंदिर के कतार से लगने से पहले मैंने अपने सर मुंडवाने का फैसला भी किया था तो हमारे गुइदे रेड्डी साब से हमें वो भी करवाया और हमें २० रुपये भी देने पड़े ( आपके जानकारी के लिए बता दूँ के मंदिर परिसर मे मुंडन औं स्नान का प्रबंध भी है और ये एक मुफ्त सेवा हैं मंदिर प्रशासन की तरफ से , पर हम क्यूँ की सीमित समय काल मे सब काम करना था तो रेड्डी साब के जुगाड़ की वजह से हम २० रुपये मे वो भी कर लिया)। सामान्यतः जैस एहुमारे मंदिरों मे पूजा का प्रबंध होता है वहां मगर ऐसा कुछ नहीं है और भगवन की पूजा आराधना पूर्वनिर्धारित सूची के अनुसार सिर्फ चुने हुए पुजारी करते हैं। और मैंने सुना है कीइ भगवन की पूजा की सूची सुबह ३ बजे से सुरु हो जाती है और रात के १० बजे भगवन का गर्भगृह बंदकर दी जाती है।
खैर हम भी गोविंदा गोविंदा की गूँज मे अपनी आवाज मिलते हुए दर्शन का आनंद लिया और प्रसाद लेने हेतु मंदिर के दुसरे भवन मे लड्डू लेके बस की तरफ पहंच बढ़ गए। वहां से हम अपनी बस की तरफ बढ़ गए और होटल पहंच गए। वापसी मे हमारी बस माँ पद्मावती मंदिर पे दर्शन को रुकी मगर क्यों के दोनों बहूत थके हुए थे तो हमने बस मे रहना ही ठीक समझा(तब मे मन ही मन बालाजी से पद्मावती दर्शन को न जाने के लिए माफ़ी मांग ली)। फिर क्या था हमारी बस हमें चेन्नई की तरफ बढ़ गयी और करीब ७ बजे हम गुइंद्य स्टेशन पे पहंच गए थे। हमने फिर नमो नारायणाय के मंत्र के साथ आपने दीनचय्र को nikal पड़े और भीड़ मे फिर खो गए ...
Saturday, November 20, 2010
माँ का क़र्ज़
बुजुर्गो पर हो रहे अत्याचार और ब्याभिचार के बारे मे तो आप rलोगों ने बहूत साडी कहानियाँ , फिल्में और किसे सुने होंगे ये एक अलग एहसास होगा। एक बार एक बेटे ने अपने माँ को बोला के माँ तुने बड़े कष्ट सह कर मुझे इस लायक बनाया के मे आज दुनिया के साथ कंधे से कन्धा मिला के चल पा रहा हूँ और मे बड़ा भाग्यशाली हूँ के मुझे तेरा साया मिला। और आज मे जो भी कुछ हूँ तेरी वजह से और मे तेरा ये क़र्ज़ कैसे उतरून और क्या करूँ ऐसा के तेरा क़र्ज़ , उपकार मे उतार सकूँ ? इस्पे माँ ने बोला के बेटा कोई बात नहीं , तुने इतना सोचा और कहा तो मुझे दुनिया मिल गई , मुझे और कुछ नहीं चाहिए। पर बेटा कहाँ मान ने वाला था , उसने तो जिद ही पकड़ ली थी की क़र्ज़ उतार के ही रहेगा तो मान ने कहा ठीक है अगर ऐसा करने से तुझे अच्छा लगेगा तो एक काम करना , आज रात तो तू मेरे साथ सो जाना। तो बेटे ने कहा ठीक है... दिन गुज़रा और रात हो गई तो बेटे ने भर पेट बोला के कोईया माँ के के साथ बिस्तर पे लेट गया। रात का पहला प्रहर था के माँ ने बेटे के ऊपर एक गिलाश पानी दाल दिया। बेटे को आई अछी नींद टूट गई और उसने माँ से कहा के माँ सो जाओ को बात नहीं है। माँ ने भी बात के ध्यान नहीं दिया और सो गई। रात का दूसरा प्रहार था और माँ ने बेटे के ऊपर दोसरा गिलास पानी डाल दिया तो बेटे ने कहा माँ सोने दो ऐसा मत करो। माँ बाते फिर सो गए। कुछ देर हुए तो माँ ने फिर एक गिलास पानी दाल दिया। इस बार बेटे ने गिस्से से उठा पर माँ से कुछ बोल नहीं पाया तो माँ ने एक मृदु हास्य दिया और सो गई। देर रात ३ से ४ का वक़्त होगा माँ ने ५ब गिलास पानी दाल दिया तो बेटा गुर्राया सा उठा और माँ को बोला क्या ये घडी घी मजाख बना रखा है , सोनी भी नहीं देती आराम से। एक तो मैंने तेरा क़र्ज़ उतारने पे तुला हुआ हूँ और तू है की मुझे आराम से सोने भी नहीं देती। इस बार माँ ने अपनी चुप्पी तोड़ी और कहा " बेटा एक तो तुम मेरे क़र्ज़ उतारने की बात करते हो और मुझे दांते भी हो। मैंने तुझपे ५ बार पानी ही डाला तो एक रात मे तुने इतनी बातें मुझे सुनाया। पर बेटे तुने तो सालों मुझपे ऐसे कई बार पानी फेका , पानी नहीं पेसाब किया पर मैंने तो आज तक तुझे कुछ नहीं कहा ... इतने कहते ही बेटे ने रोते बिलकते माँ के कदमो मे गिर गया और माँ से माफ़ी मांगने लगा और कह माँ मे नादाँ हूँ और मे क्या कोई भी इंसान अपनी माँ का क़र्ज़ कभी नहीं उतार सकता... क्यों सही कहा न...
Monday, November 15, 2010
Sunday, November 14, 2010
Professional Etiquettes
Saturday, November 13, 2010
मुझे कुछ टाइम दो बस...
Science of being Happy
Thursday, October 14, 2010
कल अष्टमी है
Friday, October 08, 2010
What I am on to
- Logistics Executive
- Server Engineer
- Call Coordinator
- Network Engineer
- Printer Engineer
- Central Coordinator
- Blah
- Blah
- Blah
- Don't work for Money , let your money work for you
- Don't but liabilities , instead buy assets
- Don't study to get a good job hence a good salary as more salary will not solve your issues in turn they will encourage you you to get in to the rat race by paying taxes , bills & that to in Liabilities.
- Study Hard to get learned to buy assets and get out of the rat race
- Poor people work for Money , Rich people's money works for them.
Thursday, September 30, 2010
Solution to a Heavenly Issue, Kashmir
- Partial withdraw of armed forces from Kashmir
- Removing AFSPA
- Creating more employment opportunities
- Focus on creation of employment opportunities in the valley.
- And many more...
We have witnessed a pakistan,Bangladesh from India and the result is never been a good decision for the people or their culture. Hence to live & let live seems to be the right decision , what you say ???
Tuesday, September 21, 2010
दोपहर की आतिशबाजी
आज मे ऑफिस मे बैठा था। अचानक आतिशबाजी सुनाई दी और ढोल भी बज रहे थे। मे उठ के देखा और हैरान रेह गया। मेरे मन मे कौतुहल को मेरे साथ बैठे राम सर और विनोथ दोनों ने अजीब तरीके से प्रतिक्रिया दी। ये नज़ारा शमशान की तरफ जाती हुई एक व्यक्ति की आखरी सबारी थी। एक सुसज्जित रथ मे जो की पुष्पमालाओं से ढाका हुआ ये सबरी पूरे भीड़ मे जा रही थी। कुछ लोग इस सबारी के आगे नाच भी रहे थे और मेरे हिसाब से वो लोग मदिरा के नशे मे धुत थे। मैंने जब पूछा के ऐसा क्यों करते हैं तो राम सर और विनोथ ने कहा के तमिल लोगों मे इस सबारी को हसी खुसी घर से शमशान तक बिदाई देने का रिवाज़ है। कैसे कैसे रिवाज़ है हमारे यहाँ , किसीके जाने पे दुःख तो बहूत होता है मगर रिवाजों ने हमें खुसी मानाने पे मजबूर करते हैं...
Thursday, August 12, 2010
काम धंदा नहीं था तो भड़ास निकाल रहा था
काम धंदा नहीं था तो भड़ास निकाल रहा था॥ पढ़ के खुसी हुई तो कमेंट डाल के कलटी मारो...
अंधा कुआँ और मे
Wednesday, July 28, 2010
दिल बड़ा या दिलवाला
Monday, July 26, 2010
Saturday, July 10, 2010
Small reason to a big smile
Intense tiredness was clearly visible on my face and I was looking for a seat in the 6.45 local from Nungambakkam. But to my tough luck grabbed me pushing me to the mid of the crowd. Like an ant who fights always with adverse conditions I too was trying my best. The man by my side was staring at me. i tried to find out why and found my leg on his ... which made me apologies and pulled back to line my back. The Tamil music in another man's earphone was loud enough and I took lil interest in listening the tune (as i don’t understand the language yet). Next station was kodambakkam and the moment it neared the man sitting in the seat by my side got up giving me the opportunity to put my back on it. And I don’t know what happened the whole compartment left except 2 to 3. The public who was standing settled themselves and the train started towards its one time destination, Tambram. The office returning evening crowd was tired like me and were interested in resting rather than sharing a word mouth. Everybody was intense and the daily issues which they face in their life was reflecting their situation. Suddenly an insect called Cricket flew in from the window and sat on my shoulder. The man in the front row noticed and pointed it & next i blew it by my hand and the poor fellow cricket was happy to find a seat on the face of a may in he front row & he by panicky & agony threw it to the next bay where it fall in the ground & finally found a way out. Everybody relaxed and a smile came on everybody's face. Was is the winning smile or the escaping smile that is none of anybody's concern. But it gave us a reason to smile for a while and get relaxed. By the time i was finished with the cricket's next course of action, my station was waiting to welcome me...
Small reason to a big smile
Intense tiredness was clearly visible on my face and I was looking for a seat in the 6.45 local from Nungambakkam. But to my tough luck grabbed me pushing me to the mid of the crowd. Like an ant who fights always with adverse conditions I too was trying my best. The man by my side was staring at me. i tried to find out why and found my leg on his ... which made me apologies and pulled back to line my back. The Tamil music in another man's earphone was loud enough and I took lil interest in listening the tune (as i don’t understand the language yet). Next station was kodambakkam and the moment it neared the man sitting in the seat by my side got up giving me the opportunity to put my back on it. And I don’t know what happened the whole compartment left except 2 to 3. The public who was standing settled themselves and the train started towards its one time destination, Tambram. The office returning evening crowd was tired like me and were interested in resting rather than sharing a word mouth. Everybody was intense and the daily issues which they face in their life was reflecting their situation. Suddenly an insect called Cricket flew in from the window and sat on my shoulder. The man in the front row noticed and pointed it & next i blew it by my hand and the poor fellow cricket was happy to find a seat on the face of a may in he front row & he by panicky & agony threw it to the next bay where it fall in the ground & finally found a way out. Everybody relaxed and a smile came on everybody's face. Was is the winning smile or the escaping smile that is none of anybody's concern. But it gave us a reason to smile for a while and get relaxed. By the time i was finished with the cricket's next course of action, my station was waiting to welcome me...
Wednesday, July 07, 2010
New version - Deewar
५ बंगले ,
३ फार्म हाउस ,
२५ करोड़ नकद है ....
तुम्हारे पास क्या है
गरीब आदमी - मेरे पास बेटा है
.
.
.
.
.
.
.
.
.जिसकी गर्ल फ्रेंड तेरी बेटी है ...
बाप v/s बेटा
बाप - शराब , जुआ , सिगरेट , लड़की ये सब तुम्हारी जान के दुश्मन है बेटे
बेटा - जो सकस अपने दुश्मनों से भाग जाये वो मर्द नहीं होता पापा
Monday, July 05, 2010
लगी १०० - १०० की ?
ब्राज़ील तो गया हे और अर्जेंटीना भी गई ।
जर्मनी जीत ता हुआ दीख रहा है मुझे...
क्या कहते हो ? लगी १०० - १०० की ?
Wednesday, June 30, 2010
सुस्त प्राणी का सही समय ...
Tuesday, June 29, 2010
२०१० बिश्व कप फुटबाल कौन जीतेगा ??
मे उस दिन बिस्तर से उठ के बैठ गया। न न किसी कीड़े ने नहीं काटा मुझे और ना ही किसी ने मुझे बुलाया था। ये तो जलवा था पैरों का जो गेंद को बड़ी ख़ूबसूरती से इधर से उधर ले के जा रहे थे। टीवी के सामने मे चिपका हुआ था शाम से और मेरे सामने दो बेहतरीन टीम खेल रही थी५ बार का चम्पिउन ब्राज़ील और उसको टक्कर दे रही थी युबा दिलों की धड़कन च्रिस्तिअनो रोनाल्डो की पोर्तुगल। दोनों तरफ से प्रयास चल रहा था गोअल करने का मगर सफलता किसीको नहीं मिल रही थी। ब्राज़ील की टीम नपी तुली पास दे दे कर आरमान कर रही थी तो पोर्तुगल की पूरी टीम गोअल बचने और प्रत्याघात मे जुट गया था। एक बात तो मैंने नोट किया के ब्राज़ील की टीम बड़ा सम्मिलित होके और समन्वय से खेलती है और मुझे उनका कल अछा लगा। पर मुझे नहीं लगता की ब्रजल ये कप जीतेगा। कप का दूसरा प्रबल दाबेदार माना जा रहा है आर्जेन्टिना जिसकी कमान सम्हाले हुए हैं खुद माराडोना। माराडोना जो की १९८६ मे आपने देश को बिश्व कप दिला चुके हैं उनके पास मौका है के फिर से अपने देश के लिए ये खिताब जीतने का। उनके पास है मेस्सी जैस खिलाडी जो की fifa player of the year घोषित हो चुके है और समालोचनाकरने वाले कहते हैं की यह आज के माराडोना हैं। पर मैंने उनकका भी खेल देखा पर मुझे नहीं लगता के ये भी जीत सकते हैं। हाँ ये भी हो सकता है की मुझे किसीका का खेल ही अछा न लगता हो । खैर मुझे क्या पर मे चाहता हूँ की argentina & Brazil फिनाल मैच मे खेलें और हम लोग मज़ा उठायें।
Thursday, June 24, 2010
हे भगवन मुझे बचा लो ...
Saturday, June 19, 2010
From DTH connection to service delivery....
टाटा स्काय लगा डाला तो लाइफ झींगा ला ला !!!
Wednesday, June 16, 2010
FIFA World cup 2010.(SA)
Tuesday, June 15, 2010
Chennai - I call it as the city of Ganesha
- jai shree Ganesha...
Wednesday, April 14, 2010
- Prathama parichaya -
kie pasand karichi – first maa,sana,mu,baba & majhia.
kama kana kare – “mote bhala paye”
kana karichi- “mo fridge ra di ta goda bhangi deichi”
ta mummy kuhanti – “aama jhia kana ate kala ki”
se kahe - “tamaku laza laguni”
ta bapa kuhanti – ” jitubabu aao kana sewa kahilani”
mate kana lage – “tike pagala matra mate bhala lage.”
kana kuhe – “sanja hele gandhia katha”
kana asuni taku – ” bhata galibara aseni sethi pain electric cooker rakhichi”
nua demand – ” gote ac darkar kahuchi’
loke kuhanti – “mu paisa dekhi baha hauchi matra mu jane , sie bi jane je seta micha”
mu kana pain baha hauchi – “mu taku bhala pauchi aau sie bi …”
baba kahuchanti ” kia kana kahuchi mu janini matra mu ta side re”
Tuesday, March 30, 2010
Gratuity Payment & Rakesh
One fine morning Rk (one of our Employees) asked me ” Sir, what is gratuity & am I eligible for the same “। I knew his intention ad asked some time to give complete and factual answer & he agreed। I recalled my books in Labour laws and summarized him in this way & I am sure the summerization will clear the basic doubts & ambiguity about gratuity।
Gratuity is a retiral benefit only which is applicable to all those establishments which are registered under the factories Act & the shops & establishment Act।But this is optional for certain establishments.
- Employees can claim the gratuity payment or the Employer can give the gratuity to the Employees only if the employee has completed at least complete 5 years of continuous service.
- Gratuity is calculated on the last month’s basic+DA and the gratuity calculation is as under
Gratuity Payment = Last Salary drawn * Number of years completed * 15/26 - Last drawn Salary = Basic+DA
- Number of Years completed = ignore below 6 months & count a full year if more that 6 months
- 15/26 = 15 days salary per 26 working days
- Maximum gratuity payable to any employee is 3,50,000
But folks please take a note that any break during the service will not fetch you gratuity. Transfers are allowed under the same employer nut not the rejoining cases.
With this i have roughly covered all possible general information about gratuity for a Lehman & hope things are pretty clear.
thanks
-jr
ek khuda hi janun
is tarah wo mujhse ek zindagi mangte hain
koi samajhta hai to koi dhutkarta hai ab,
rakhun kadam kahin to jameen hi chinte hain
sadaa mere dil ki sune koi use khuda janu,
aur wafa meri bhi jane to bhi use ab khuda manun
Mela ab ye nafrat,mohabbat,wafa aur bewafa
main janun to ab bas ek khuda hi janun
ek khuda hi janun
is tarah wo mujhse ek zindagi mangte hain
koi samajhta hai to koi dhutkarta hai ab,
rakhun kadam kahin to jameen hi chinte hain
sadaa mere dil ki sune koi use khuda janu,
aur wafa meri bhi jane to bhi use ab khuda manun
Mela ab ye nafrat,mohabbat,wafa aur bewafa
main janun to ab bas ek khuda hi janun
Saitaan bana gaye !!
jinse main tha wo hi kahiin chooth gaye
tha to main bada sehri is jahan main magar
insani bhanaon ne he mujhe saitaan bana gaye…
Mera Moneyplant aur main…
Mujhe yaad hai bahat din pehle main aur pramod sir office ke bahar baith ke jab baein kar rahe the tab mujhe unhone kaha ke money plant lagane se paisa badhte hain aur main use sach man bhi lia। Phir mujhe ameer ban ne se kaun rok ta to maine turant hi apni nazar daudai aur aas pados main lsge hue sare paidho me se money plant dhundne laga। Peeche se Pramod sir ne phir kaha yaar aise nahiin hota money plant churana padta hai to ek minit ko main ruk gaya par kisko dhanwan ban na manzoor nahiin aur waise bhi ek paidha hi to gayab karna tha to maine aao dekha na taao apne building pe hi lage hue paudho pe hi haath saaf ki। Dosre hi din ek badiya si container lia gaya aur mere desk pe sajaya gaya… par mujhe aaj bhi shak hai ke mere bank balance pe kuch khas farak pada hai ya nahin( par paudha ab bhi tandroost hai)।
Can you answer ?
- God’s address ?
- Meaning Of Life ?
- Reincarnation ?
- Why human being is different from others ?
- Why there are many forms of the God in the world ?
- Who decides what will happen next in out life ?
- Why people love or hate ?
- Why everybody doesn’t get food daily ?
- Why are we so selfish ?
- What happens to us after death ?
- Why Human life is so neglected ?
- Is money everything ?
Continued…
Thursday, March 18, 2010
Reforms in the Educational industry & the other side to monetize the Market..
My question again; will any institute of that kind will be coming to India ? is there any criteria set for the universities to come into India or any other University in Libya or Ghana which my ancestors had no idea can come to teach us ? I am sure that the minister has no answer to that the except ” the cabinet committee is reviewing the final memorandum before it is explored.” Being under the WTO we cannot deny any university to open campus & run courses and hence can loose control of the private and anonymous universities to play with the future of our students. I would request the minister to get strict standards set so that good universities/Institutes can come to India to deliver world-class education. Secondly can we again strengthen our own educational system or existing Good universities at every state level to compete with the foreign players. If no then this step by the government is like a lethal weapon against our own education system. When we are diminishing the number of Deemed universities to keep private players out of the scene then how can you leave the platform all set for the foreign players to explore. If the Indian Economy is growing by 10-12% every FY then why cant we spend 4-6% of our GDP in strengthening our Education system which a developing country like ours must afford to fill up the requirement of skilled manpower which we foresee 10 years down the line ? Look at China who is investing nearly 6% of its GDP in education system for the last 8-10 years and as a result of which the foreign students’ number has substantially increased in number because of the uprising standard of education. Now its time to strengthen our existing education system, empower the IIT’s,IIM’s & other that level institutes, Open up new institutes of that repute and finally setting standards for all the foreign player in the industry to secure the future tutors else people will come, collect huge amounts in the name of any other university in Europe or somewhere else leaving us nowhere.
Tuesday, March 16, 2010
Monday, March 01, 2010
HAPPY HOLI
Saturday, February 13, 2010
Being what you are at your work...
I used to sing a lot in bathroom,in my one room rented home & many a places where people used to put cotton in their ears to avoid me,but now if i look back for many months i have never sunga song of my choice and have lost all sur & taal. According people who sit in my cubical , i am a good singer and i share a good taste of music with my team leader and there are many moments when we sing the some song while we are on job. It has been a mantra for me that i murmur during my work to make it a happening and have suceeded every-time to overcome stress.
I used to be a good cook but i dont get time to experiment my taste buds.but i am determined to be a good cook atleast for my wife.And there are many things which i think i have forgotten or ket away from practice and that wer things i used to enjoy and matterialize my time.Being into somewhat literature and art lover, i used to do many good things in day to day life which in period of time but these are being reduced in comparision to other things. This can directly or indirectly impact work & personal life as well as it decided your mood ad the kind of attitude you build while approaching your work. I feel restless when i am asked to sit quietly and work in a way which is restricted to strict official guidelines and regulations. but when its an environment to express my ideas and my creativity at work i find good results out of my efforts. And i think definitely everybody needs his space at work to deliver the desired result.This is my prospective to look work life balance.But every-time this can not work for everybody as people and persons are all a different entities. but it surely impacts the work life balance...Being in hr i have this strong desire to make work place a more happening one rather than all desks & tables with pcs & demanding results.I hope you will come by me...
Saturday, February 06, 2010
Thursday, February 04, 2010
Sunday, January 31, 2010
बिदाय दिल्ली ...
अब वो बंगलोर के ऊँची इमारतों के बीच अपनी उज्जवल और नवस्चुम्भी भविष्य को तलाशेगा .कल वो थोडा दुखी भी था यह सोच के क्या होगा।
बिदाई तो दी उसने मगर थोडा परेशान था..इश्वर उसकी राह आसान और सफल बनाये ...
Friday, January 29, 2010
Tuesday, January 26, 2010
Sunday, January 24, 2010
Applicability of the Labour Welfare Act.
Here is an answer to applicability of the Labour Welfare Act.
Following are the states where the Labour Welfare Fund s Applicable.
- Andhra Pradesh
- Chattishgarh
- Goa
- Gujrat
- Haryana
- Karnataka
- Kerla
- Madhya Pradesh
- Maharastra
- Delhi
- Punjab
- West Bengal
- Tamil Nadu
Following are the states that are not covered under this Act.
- Asam
- Bihar
- Himachal Pradesh
- J&K
- Jharkhand
- Meghalaya
- Orissa
- Pondichery
- Rajasthan
- Sikkim
- Tripura
- Chandigarh
- Uttarakhand
- Uttar Pradesh
Saturday, January 23, 2010
situ left Bam
Thursday, January 14, 2010
इन-सा-अल्लाह सब ठीक हो जायेगा...
दुनिया मे गम और भी है ग़ालिब
मे हस के उदा दूँ ऐसे (गम) ढेर है मेरे झोली मे ....
इन-सा-अल्लाह सब ठीक हो जायेगा...
14th Jan 2010
Tuesday, January 05, 2010
“जहापनाह तुस्सि ग्रेत हो तोह्फा कबुल हो …”
The bad thing about this film is in Media these days as there is a controversy going on between Mr.Chetan & Mr.Chopra. Chetan is claiming that it’s his book “five point Someone” which is in action with Aamir and the other party is denying about the same. I have not read the book but the question is that why Mr.Chetan is worried and what is the issue now. In one way if Chetan is sauig that he has nothing to say against the producers then why panicky and if you are bothered then sue the other party rather than making noise. How many were aware of his book before the release of the book but this is the film that has reached the general public and the message is really reaching the general public. If the idiots team has done that then why to get on to war with them? just give them a standing gesture, that’s it. and yes if you think they have done something Wrong with you then go the courts and sui them. its simple. I hope i am more simple & clear in getting you my message.
And the worst thing that happened was yesterday when 2 children were found dead in school toilets. The schol authorities said that last year one of the two deceased child was failed in his examnination and was running under pressure where the second too was a similar case. This is a bigger concern where the films and any other element is affecting adversely on the society. My humble request to the sosiety to take up all the positive things and keep away the nasty things. In another news 5 medical students were found guilty in ragging junior students in the way “जहापनाह तुस्सि ग्रेत हो तोह्फा कबुल हो …” and were penalized. A committee has been made to review the film and to suggest steps to remove certain scenes but it’s too late as we have already lost two children.
The film is good and we should take ample good things in it & not the bad ones.
Monday, January 04, 2010
Vande Shinharudha Devi khadga kharpara dharini
Durgati nashinee durga adyashakti sanatani
Sharanagata deenarta paritrana parayane
Sarv syarti hare devi narayani namostute
Maa ke paavan charano main mera sat sat pranam…
This was a gift for me and i had the opportunity to visit the most sacred place on earth “Vaishno Devi”. Placed on the Trikuta Hill the goddess mother is blessing us and it was a much awaited call for me to visit her and I am obliged.
It was a sudden thought in my mind to visit the Goddess mother and eventually she called me. It happened many a times that visits to her place was planned but at the end cancelled for me. But this time I was lucky to get a chance to visit the shrine. As usual we were the same company of 3 ( Me, Tapan & Pramod Sir) but this time Nagendra added to it to make a batch of 4 for the visit. We tried booking train tickets but due to 3 days leave and huge rush we did not get the tickets. We tried booking Tatkal tickets too but were not able to do it. Finally we decided to go by bus and that to Roadways. And once we decided to go for it we never set back. Hence it was 24th Dec evening all 4 of us started our journey from our office only. We hired a cab to reach ISBT,Kashmiri Gate. We reached Kashmiri Gate at around 8.30 in the evening. Being the peak in winter the temperature went down to below 10 degree and in the deem mercury street light Delhi was looking great. Wishing one another Merry Christmas we left office and reached ISBT but looking at the chaos in the Bus adda we were disheartened to see the long queues for tickets. There were no bus and the public was waiting for more than 5 hours for ticket with no result. After waiting for around and 1.5 hrs we decided to go via Ludhiana and boarded a Haryana roadways bus. We were about to get tickets I got a call from Pramod Sir asking us to get down as he got a direct bus to Katra. We suddenly got down from that bus and boarded the direct bus to katra. This is how we used the experience of Pramod sir and thanked him. After the bus started towards the destination at around 11.30 pm in the night, we had the heavy alu ka paranthas with aachar and tried to sleep. At around one o clock in the night the bus halted at some place n we had coffee. The bus den dwelled on to the hills and we were trying hard to get ourselves some sleep but the Haryana Roadways bus bound by his nature was preventing us to rest. There were nasty jokes and fun among 4 of us wherein we got few companies as well during the travel. Finally around 11 am we reached Katra, the place from where we had to start the 12 km walk upwards to rich the holy shrine. Being the busiest season of the year we found little difficulty in getting a hotel but finally we managed. We did a brave job & took bath in the cold water on the hillside hotel and started towards the shrine. It was around one in the afternoon hence we had food and reached the footsteps. there was a long queue for security check up and then we started climbing the hill. There was a shops on both sides of the road and everything was made available but on paying cost for it. With Tapan & nagender being younger people than we two had started with ret pace but sooner after climbing 2 to 3 kilometers Tapan found to be the most tired man and was lagging behind us. There we found the Rabbit & turtle story proving worth and the whole 12 kn climbing Tapan was the most sufferer. He had vomiting too and few related complications but we were determined to get him to the top. So sometime it was Limca to sometime its Juice to the healing tablets were at his service to get him timely relief. The time we reached the shrine gates Tapan was fine and was dwelling with enthusiasm to get Darshan. We reached the Gates of the holy shrine at around 11.30 pm in the night but to our surprise a kilometer long three line queues of people were already waiting for the same purpose. We then stood in the queue to get darshan and our turn came at around 12.20 in the night and we were lined up for darshan and it was like a sacred time when we got a glimpse of the holy Mother goddess and enriched our lives with joy and her blessings. This was my first visit to the shrine and was a memorable one. Then we had food and returned back in the night itself. We reached our hotel back in the morning and started towards the bus adda to catch bus back to Delhi. Again a Haryana Roadways helped us in getting back to Delhi. Our motto to get darshan and get blessings from the mother goddess was fruitful. We prayed to the mother to bless us and may our wishes come true. The year 2009 has brought us many good times & bad timess but we were there to thank the mother goddes for all good times and to keep us safe guarded from all evil things and we all expect the new year 2010 will bring us good time and best fortune to fulfill all our dreams.
There were few instances like bus breakdown and couple of more occasions which gave us ample time to spend together and relax. I know this could be a much better post. So please get me your ideas to make it better..
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