आज सुबह की पहली किरण के साथ नीतू(मेरा छोटा भाई) ने दिल्ली को सलामी देते हुए घर को चला गया... किस्मत भी क्या चीज़ है यारा कहाँ कब किस की पलटटी है कौन जनता है॥ कहते है की एक लम्हा काफी है और ये मैंने आज महसूस किया। आज को एक साल पहले वो दिल्ली आया था एक सुनहरी भविष्य के तलाश मे और उसको मिली भी। ठीक ६ महीने उसने यहाँ एक कंपनी मे जॉब भी किया और खुस था॥ पर अचानक सितु के घर से बहार जाने से वो भी घर के आस पास जाना चाहता था उअर उसको मौका भी मिल गया।
अब वो बंगलोर के ऊँची इमारतों के बीच अपनी उज्जवल और नवस्चुम्भी भविष्य को तलाशेगा .कल वो थोडा दुखी भी था यह सोच के क्या होगा।
बिदाई तो दी उसने मगर थोडा परेशान था..इश्वर उसकी राह आसान और सफल बनाये ...
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