Thursday, January 14, 2010

इन-सा-अल्लाह सब ठीक हो जायेगा...

बहत दिनों से कुछ लिखने को कलम तरस रहा था तो आज ये पोस्ट लिख दिया. वैसे तो मे अपने हाथो से कागज़ पे लिखना पसंद करता हूँ मगर आज के internet और gprs के ज़माने मे अगर मे कागज़ पे लिखने बैठूं तो मेरे हस्ताक्श्यर तो अछे हो जायेंगे मगर इससे बहूत कुछ बर्बाद हो जाता ....जैसे की मेरा समय , मेरे कलम के स्याही और कुछ पन्ने कागज़ के और सबसे महत्वपूरण लोगों का मेरे प्रति प्यारइस लिए मैंने भी कागज़ कलम छोड़ के बोर्ड चुन लिया.वैसे तो मेरे दिल मे कुछ रुकता नहींकोई कहता है के मुझे लोग बहूत पसंद करते हैं पर इसके जवाब मे मे जब अपने आप को लोगों के नज़रिए से देखूं तो उनका ये मनतब्य कुछ खोकला लगता हैमुझे इससे कुछ फरक तो कभी पड़ा नहीं और नाम हे पड़ेगा क्यूँ की मेरा मन यह है की अगर मे ठीक काम करो रहा हूँ तो दुनिया को जवाब दे सकता हूँ और ये मेरा अपना दर्शन शास्त्र हैमगर हाँ कुछ ऐसे घटनाएँ घटी है जो मुझे बिचलित करती है और मे मजबूरन एक अंतर्द्वंद मे जुट हूँये मेरा भ्रम भी हो सकता है मगर मे किसी प्रकार के संदेह मे अपने आप को गुमराह नहीं करना चाहताइसलिए हमेशा मे अपने आप को सवाल करता रहता हूँ के क्या मे सही करो रहा हूँ और इसका जवाब "ना" मे नहीं मिला मुझेकभी कभी आम ज़िन्दगी के समस्याएँ मुझे बिचलित करती हैं और मुझे बार बार एक सवाल पूछती है के बेटा जीतू, मानब संसाधन अधिकारी, तू अपने आप को समझ पाया है , तू अपने रास्ते सही से चल पाया है ? तो मे थोडा परेशां हो जाता हूँ और एक शरारत भरी हंसी के साथ जवाब देता हूँ "अल्लाह मालिक" और "इन-सा-अल्लाह सब ठीक हो जायेगा और आगे बढ़ जाता हूँ. क्या सोचते होंगे लोग मेरे बारे मे ....I don't care पर मे खुस रहता हूँ. मेरे दोस्त भी कहते हैं की तू हमेशा खुस कैसे रह सकता है जबकि तेरे ज़िन्दगी मे भी हज़ार समस्याएं है तो इनका जवाब मेरी एक हलकी सी हँसी देती हैऔर मे हस देता हूँ इसलिए के मुझे भी नहीं पता मे इतना खुस कैसे रहता हूँखैर कोई बात नहीं

दुनिया मे गम और भी है ग़ालिब
मे हस के उदा दूँ ऐसे (गम) ढेर है मेरे झोली मे ....


इन-सा-अल्लाह सब ठीक हो जायेगा...

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