Friday, December 31, 2010

From 2010 to 2011

The final few hours too have left us & we will remember 2010 as a year of much happening in history... Someone has rightly said that whatsoever the day it is, there is always a new morning waiting for everybody with ample of new things,new opportunities,new challenges and obviously with new issues in life.But never ever it happened that time has taken a nap & stopped for anybody. it just goes on and on and makes us learn a the eternal mantra in life to "Get going".There could be different reasons for different people to remember 2010. For me the year 2010, in the history will be remembered as the year of scams, year of better career opportunities for few of my friends & colleagues in Delhi/Gurgaon,year of many worries for couple of friends, year for tieing knot for couple of my close friends. And for me the year 2010 has much reason to remember. Before i start writing my story lets just keep a 2 minute silence to remember all those innocent people who died without food in kalahandi,orissa or the riots in J&K,or in the train or bus mishaps or the terrorist attacks or the thousand odd innocent farmers who took their lives to all those who lost their lives this year in many other incidents without any reason or reasons out of their control. For all these people whom nobody will remember nor will care for lets just stretch our hands to the heavenly sky & pay a tribute to them. They were too human beings and they had the right to live. Lets pay our tribute to all those innocent lives.
Now when we have stepped in 2011 let me wish you all a great and happy new year 2011. May all your dreams come true and you enjoy every bit of life happily.
For me the year 2010 was a special year as many things changed in life with new dimensions and new challenges & experiences. For couple of my friends including me the year brought the lovely knots in life opening a new innings in life as a mature married men , for a bunch of close people in Delhi the new year brought new and better career opportunity with great pay hikes and i wish them luck. For few of my ex colleagues the year brought issues in carer and i hope they put their best foot to handle the tough conditions.For my brother champ the year opened the door of opportunities as he got his first job after engineering. For my middle brother its moving towards the best fit career path and i am happy for them. For me, 2010 made me a married man and made someone my life.She showered my life with joy & happiness and i am lost in it. In a major change in career too i changed my job and moved to the next level and i aspire to carry on the march ahead. Among all these the year brought many disappointments in many lives and I hope every man has courage to deal with life if he is willing to do so. So lets get going with the new morning haunting new opportunities & horizons alongside keeping all good things with us & leaving behind bitter experiences and bitter days...
Lets challenge our limits and write a new story in 2011.
Happy New Year

Wednesday, November 24, 2010

( गोविंदा गोविंदा )

(नमो नारायणाय )
शादी के बाद कहीं भी नहीं गया था और ऑफिस से घर और घर से ऑफिस हो के मन भी बहूत थक चूका था। वैसे तो मुझे चेन्नई आये हुए ६ महीने से ज्यादा हो गया है मगर मुझे चेन्नई बोले तो ऑफिस-लोकल ट्रेन और मेरी बीवी के सिवा कुछ ज्यादा ज्ञान नहीं हैं। श्रीमती के रंग कुछ बदलता उससे पहले मैंने सोचा के चलो कहीं हो आते हैं और आपको तो मेरी गन्दी आदत के बारे मे पता ही है , और मेरे दोस्तों ने भी कहा है की मुल्ले की दौड़ मस्जिद तक और मेरी दौड़ किसी मंदिर तक। और मे भी इस कहावत की लाज रखते हुए बालाजी के दर्शन का प्लान बना लिया। क्यूँ की मे कभी गया ही नहीं तो श्रीमतीजी को ये भार सौंप दिया के धुन्दाके बताओ के कैसे जाना है और कहाँ जाना है तो मेरी श्रीमती जो की दो बार तिरुमाला पर्वत पर जा चुकी है, मुझे तुरंत आन्ध्र प्रदेश पर्यटन बिभाग द्वारा प्रचलित सेवा और दर्शन के बारे मे अबगत कराया। इर क्या बात थी दोनों ने टिकिट कटवा लिया और निर्धारित तारीख पर पर्यटन कार्यालय के ऑफिस पहंच गए। क्यूँ के हमें बताया गया थे के जीन्स और था शर्ट बर्जित है तो मुझे ८०० रुपये का जुरमाना भी सहना पड़ा एक जोड़ी कुरता और पैजामा के रूप मे।
खैर
कोई बात नहीं शाम बजे हमारी यात्रा सुरु हुई . टी नगर तिरुपति मंदिर की तरफ हाथ जोड़ कर हमारी बस अपने मंजिल की तरफ बढ़ चली। बस वोल्वो थी और काफी आराम दायक भी थी। क्यूँ की ठण्ड लगने लगी तो नींद भी आ गई। एक अच्छी नींद के बाद करीब १० बजे हमारी गाडी एक होटल के पास रुकी, जगह का नाम तो पता के नहीं मगर जो खाना खाने के लिए रुके थे वो अछा नहीं था । पर करे तो क्या भूक जो लग रही थी तो दोनों ने रात को भी उपमा के साथ मसाला डोसा खाया और वापस गाडी मे बैठ गए। फिर गाड़ी भी चल पड़ी। कुछ डेड घंटे के बाद रात १२ बजे गाड़ी तिरुमलै परबत के निचे पहंच गए। वहां एक होटल मे हमें ठहराया गया और बोला गया के रात के ढाई बजे तैयार होके निकलने को। दो घंटे की आराम के बाद हमने नहा धो के ढाई बजे क़ुइक्क दर्शन के टिकेट के लिए लाइन मे लग गए। सुबह का ठण्ड थी और रिमझिम बारिशो की बूंदों ने हमें झपकी लेनेको मजबूर कर रही थी मगर लोगों की कतार ने हमें जगाये रखा। सुबह के करीब ५ बजे हमारे थुम्ब इम्प्रेस्सिओन के साथ एक ईद कार्ड बना दिया गया (इसके ५० रुपये भी टूर टिकेट मे जुदा हुआ था ) फिर हमें वापस होटल ले जाया गया जहाँ हमने गरम गरम इडली के साथ साम्भर मिला तो जान मे जान आई। फिर क्या था हमें वापस गाड़ी मे बैठ के भगवान् के दर्शन को ले जाया गया। हमारी झूंड का नेतृत्व गाइड रेड्डी साब ने संभाल रखी थी और उनकी पूँछ पकड़ के हम ४० लोग दर्शन को निकल पड़े। रेड्डी साब के साथ हम जैसे ही तिरुमलाई परबत माला के पास पहंचे तो वहां हमें भगवान् के चरणारविन्द नगर पहंचने के लिए आन्ध्र प्रदेश ट्रांसपोर्ट से एक बस की व्यवस्था थी। हम जैसे ही शिखर पर पहंचे जैसे मे भगवन के चरणों मे पहंच गया और मौसम के तो क्या कहने, घने बादलो ने कुछ ऐसा मंज़र बाँधा था के जैसे परबतमालाओ के बीच बसे भगवन के चरणों को जी जान से धोने का मन बनाया हो। काले बादलो ने पूरे पर्बत्मालयों को ढका हुआ था और आंधी भी चल रही थी , मगर भक्तो की भीड़ भी कुछ ऐसा उमड़ा हुआ था के क्या कहूँ। बड़ी सादगी से सब लोग झम झम बारिश मे भीगते हुए मगर बड़े ही शांत स्वभाव से भगवान के गुणगान करते हुए लम्बी लम्बी कतारों मे लगाइ हुए थे। सबके मुख से प्रेम से गोविन्दा गोविंदा की धुन जैसे समुच्चा बाताबरण को ब्रह्ममय और नैसर्गिक बना रही थी। मे भी सपत्निक भीड़ मे भगवन के दर्शन को चल पड़ा। झम झम बारिश के रूप मे जैसे भगवन बालाजी हमें अपने पावन आशीर्वाद से लाबालब कर रहे थे और तेज़ आंधी से जैसे हमारे सारे दुखो का हरण कर रहे थे। बड़े ही सुआयोजन के साथ लोग आगे बढ़ते गए और हमें भी दर्शन का अवसर मिला। करीब १०० मीटर की दूरी से भगवन की ब्रह्मप्रतिमा के दर्शन से जैसे मे मंत्रमुग्ध हो गया। क्या दिव्या दृश्य था भगवन के दोनों चरणों के पास दो पंडित बैठ के अनवरत मंत्रो का जाप कर रहे थे और सारे भीड़ से गोविंदा गोविंदा की आवाज़ से जैसे मे एल अलग सी दुनिया मे पहंच गया और मे मन ही मन बालाजी भगवन को धन्यवाद देने लगा। मंदिर के कतार से लगने से पहले मैंने अपने सर मुंडवाने का फैसला भी किया था तो हमारे गुइदे रेड्डी साब से हमें वो भी करवाया और हमें २० रुपये भी देने पड़े ( आपके जानकारी के लिए बता दूँ के मंदिर परिसर मे मुंडन औं स्नान का प्रबंध भी है और ये एक मुफ्त सेवा हैं मंदिर प्रशासन की तरफ से , पर हम क्यूँ की सीमित समय काल मे सब काम करना था तो रेड्डी साब के जुगाड़ की वजह से हम २० रुपये मे वो भी कर लिया)। सामान्यतः जैस एहुमारे मंदिरों मे पूजा का प्रबंध होता है वहां मगर ऐसा कुछ नहीं है और भगवन की पूजा आराधना पूर्वनिर्धारित सूची के अनुसार सिर्फ चुने हुए पुजारी करते हैं। और मैंने सुना है कीइ भगवन की पूजा की सूची सुबह ३ बजे से सुरु हो जाती है और रात के १० बजे भगवन का गर्भगृह बंदकर दी जाती है।

खैर हम भी गोविंदा गोविंदा की गूँज मे अपनी आवाज मिलते हुए दर्शन का आनंद लिया और प्रसाद लेने हेतु मंदिर के दुसरे भवन मे लड्डू लेके बस की तरफ पहंच बढ़ गए। वहां से हम अपनी बस की तरफ बढ़ गए और होटल पहंच गए। वापसी मे हमारी बस माँ पद्मावती मंदिर पे दर्शन को रुकी मगर क्यों के दोनों बहूत थके हुए थे तो हमने बस मे रहना ही ठीक समझा(तब मे मन ही मन बालाजी से पद्मावती दर्शन को न जाने के लिए माफ़ी मांग ली)। फिर क्या था हमारी बस हमें चेन्नई की तरफ बढ़ गयी और करीब ७ बजे हम गुइंद्य स्टेशन पे पहंच गए थे। हमने फिर नमो नारायणाय के मंत्र के साथ आपने दीनचय्र को nikal पड़े और भीड़ मे फिर खो गए ...




Saturday, November 20, 2010

माँ का क़र्ज़

शाम का समय था और मे थका हारा घर पहंचा और क्यों की मेरा मूड था खाना बनाने का तो मे रसोई की तरफ बढ़ गया। अब श्रीमती जी बड़ी खुस हुईं पर qमैंने कहा की एक प्याली चाय की मिल जाती तो अछा होता तो तुरंत चाय भी मिल गई। अब काम eकरवाना किसको पसंद नहीं , खैर कोई बात नहीं जब मुझे ही मूड था बनाने का तो कुछ और नहीं सोचा। मज़े की qबात यह थी की तब तक चावल और दाल बन चूका था और मुझे सिर्फ तरकारी बनानी थी। मे झटपट सब्जी eकटाई ख़तम कर कड़ाई बिठाया और सब्जी चढ़ाके टीवी के सामने बैठ गया। ऐसे ही चैनल बदलते बदलते मे आंचलिक मेरे qमातृभासा ओडिया चैनल तरंग पे रुक गया क्यों की उसके एक कार्यक्रम जिसका नाम है "Excuse Me"आ रहा था। उसपे एक हास्य कलाकार ने हसाते हसाते एक संगीन बात कहदी जो मेरे दिल को छु गई और वही मे आज यहाँ लिख रहा हूँ ...
बुजुर्गो पर हो रहे अत्याचार और ब्याभिचार के बारे मे तो आप rलोगों ने बहूत साडी कहानियाँ , फिल्में और किसे सुने होंगे ये एक अलग एहसास होगा। एक बार एक बेटे ने अपने माँ को बोला के माँ तुने बड़े कष्ट सह कर मुझे इस लायक बनाया के मे आज दुनिया के साथ कंधे से कन्धा मिला के चल पा रहा हूँ और मे बड़ा भाग्यशाली हूँ के मुझे तेरा साया मिला। और आज मे जो भी कुछ हूँ तेरी वजह से और मे तेरा ये क़र्ज़ कैसे उतरून और क्या करूँ ऐसा के तेरा क़र्ज़ , उपकार मे उतार सकूँ ? इस्पे माँ ने बोला के बेटा कोई बात नहीं , तुने इतना सोचा और कहा तो मुझे दुनिया मिल गई , मुझे और कुछ नहीं चाहिए। पर बेटा कहाँ मान ने वाला था , उसने तो जिद ही पकड़ ली थी की क़र्ज़ उतार के ही रहेगा तो मान ने कहा ठीक है अगर ऐसा करने से तुझे अच्छा लगेगा तो एक काम करना , आज रात तो तू मेरे साथ सो जाना। तो बेटे ने कहा ठीक है... दिन गुज़रा और रात हो गई तो बेटे ने भर पेट बोला के कोईया माँ के के साथ बिस्तर पे लेट गया। रात का पहला प्रहर था के माँ ने बेटे के ऊपर एक गिलाश पानी दाल दिया। बेटे को आई अछी नींद टूट गई और उसने माँ से कहा के माँ सो जाओ को बात नहीं है। माँ ने भी बात के ध्यान नहीं दिया और सो गई। रात का दूसरा प्रहार था और माँ ने बेटे के ऊपर दोसरा गिलास पानी डाल दिया तो बेटे ने कहा माँ सोने दो ऐसा मत करो। माँ बाते फिर सो गए। कुछ देर हुए तो माँ ने फिर एक गिलास पानी दाल दिया। इस बार बेटे ने गिस्से से उठा पर माँ से कुछ बोल नहीं पाया तो माँ ने एक मृदु हास्य दिया और सो गई। देर रात ३ से ४ का वक़्त होगा माँ ने ५ब गिलास पानी दाल दिया तो बेटा गुर्राया सा उठा और माँ को बोला क्या ये घडी घी मजाख बना रखा है , सोनी भी नहीं देती आराम से। एक तो मैंने तेरा क़र्ज़ उतारने पे तुला हुआ हूँ और तू है की मुझे आराम से सोने भी नहीं देती। इस बार माँ ने अपनी चुप्पी तोड़ी और कहा " बेटा एक तो तुम मेरे क़र्ज़ उतारने की बात करते हो और मुझे दांते भी हो। मैंने तुझपे ५ बार पानी ही डाला तो एक रात मे तुने इतनी बातें मुझे सुनाया। पर बेटे तुने तो सालों मुझपे ऐसे कई बार पानी फेका , पानी नहीं पेसाब किया पर मैंने तो आज तक तुझे कुछ नहीं कहा ... इतने कहते ही बेटे ने रोते बिलकते माँ के कदमो मे गिर गया और माँ से माफ़ी मांगने लगा और कह माँ मे नादाँ हूँ और मे क्या कोई भी इंसान अपनी माँ का क़र्ज़ कभी नहीं उतार सकता... क्यों सही कहा न...

Monday, November 15, 2010

मेरी सक्शीयत


इतना तो यकीन है मुझे अपनी सक्सीयत पर
भूल जाये मुझे कोई जो मिलके ऐसा नहीं देखा ...

Sunday, November 14, 2010

Professional Etiquettes

Yesterday I got a call from our Chennai Service centre and the manager was in different mood to ask the manpower requirements from his locations but the tone and the pitch of the manager’s voice was different from his natural way of communication and I was little shocked to listen to the selection of word in the conversation by the manager. Before to that the, manager was well behaved and was in my list of well managed and well carried out manager’s list. But I managed and maintained my line of communication in the call. After i finished the call Ram sir came back to his seat along with his boss (both of them sit besides my bay in the office) and he told me shouting on anybody provides no solution to an issue and he seemed much disappointed. I, then got an intuition that they both were in the same call and I asked him that were they in the con-call and the answer was a big “yes” and for few seconds I was disappointed that the call was witnessed by the entire pan India location managers. And being an Hr professional I felt bad for the manager and the image was rotten among all the managers in RIL. The big boss too said that the manager has bad reputation about the location manager and the other manager said that the manpower crisis in his location is because of the bad behavior and the ill selection words in the work place by the manager and many more comments like that one followed for the manager and the 7 year experienced manager’s was ruined in minutes. The manager himself is unaware of the damage he faced but being an Hr professional I felt very bad. I felt bad not because of the manager’s reaction on me but on the lack of communication in the manager. The manager has 7 years of experience in his own functional area and he is has fair record in his career too but I what I felt was the importance of corporate communication rather than the human behavior. The word corporate communication is much important when you are in a managerial position and there are a group of people who are there to follow you. I have always put much importance to communication skills and in corporate culture you are demarcated in the way you communicate and it really makes a big difference. Anyway I feel that apart from telephone etiquettes and e mail etiquettes we need to have a good choice of words in the corporate communication and I am sure apart from our regular functional area the communication will surely add up to success in anybody’s career. So better your communication, better a person and better a career yours, what you say ?

Saturday, November 13, 2010

मुझे कुछ टाइम दो बस...

मुझे अकेला क्यूँ लग रहा है आज ये सोचने बैठा तो मुझे कुछ यूँ लगा के ज्यादा करीबीमे कुछ या तो भूलता जा रहा हूँ या कुछ ज्यादा करीबी से अपना रहा हूँफिर मुझेएहसास हुआ के मे तो यहाँ दक्षिण मे हूँ और मेरा दोस्तों का ताँता तो उत्तर मे कहीं छूट गया हैखिअर कोई बात नहीं किसीने सच हि कहा हैं के आदमी खून के अलावा सभी रिश्ते खुद बनता हैं और मुझे भरोसा है की मे भी बना लूँगाऔर वैसे भी सुबह से शाम तक तो कार्यालय और शाम ढलते ही भार्यालय से किसको छुटकारा मिला है जो दोस्तों की बात सोचेगापर मे तो ऐसा कभी था हि नहींदोस्तों का साथ मिले तो दुनिया भूलने वाला मे आज कुछ अपने असली रंग से बहूत दूर कुछ खोया खोया सा लग रहा हूँ। पर अब भी मे कुछ बूरा दोस्त भी नहीं हूँ और मुझे कुछ टाइम दो बस...

Science of being Happy

I know I am not a psychiatrist but I know the interim feelings of human psychology। Many a times it happens that people don’t care about others feelings and they do the same one or the other reason and many a times they don’t know what they are doing and the result always becomes a disaster in human relations। Please don’t misunderstand me as I am a married guy now and this is not at all the regular family fights। Our thoughts have become so narrow minded that in the tune to earn little joy in our heart we destroy the second persons feelings leading to creates distance which takes much longer period of time to vanish। It may take some time to get that healing done but has not it made your life smaller with the time you spend in resolving issues। Anyway there are people who are still not ready to accept that life is there to live & not to resolve issues। Anyway let people come out of darkness and let there be light…

Thursday, October 14, 2010

कल अष्टमी है

आज नवरात्री का सप्तमी हैं और महा समारोह के साथ चारो दिशाओं मे माँ भवानी की पूजा चल रही है। पर यहाँ चेन्नई मे ये पूजा का रंग कुछ कम लग रहा है। ये हो सकता है की मेरे विचार हो और क्यों की मे ओडिशा का रहने वाला हूँ और मेरे वहां बड़ी धूम धाम से यह पूजा मनाई जाती है तो मे तुलना करे लगा हूँ। शनिवार को मे सपत्निक मंदिर भी गया था और पूजा भी की। पर न जाने क्यों आज कल मन बड़ा व्याकुल रहता है ऐसा लगता है की मे कुछ बेचीं हो रहा हूँ। कुछ दिन पहले मे एक साक्श्यत्कार मे मिली असफलता मे कुछ हतोशातिह्त हो गया था और क्यूँ की उमीदें कुछ ज्यादा थी और मे उमीदों पे खरा नहीं उतार पाया तो दुखी भी था। मगर वक़्त सबसे बड़ा दबी है तो मे उसे भी भूल जाऊंगा। पर उस दिन वो महिला जो मुझसे प्रश्न कर रही थी मुझे बड़ा निरास कर गई। पेशे से मे भी बहूत साक्श्यत्कार लेता हूँ मगर ये अंदाज़ बड़ा ख़राब लगा मुझे। कुछ परिपक्क्व्ता की कमी लगी मुझे। खैर मुझे क्या करना है उससे मे तो ये सब करता रहता हौं और करता रहूँगा। मन उदास था तो लिख डाला ...आप भी पढ़ लीजिये और भूल जाईये ... कल अष्टमी है माँ भवानी और एकपदा भैरबी से बस यही दुआ है की सबको शांति और सम्रिध्ही दें...जय शेरावाली...

Friday, October 08, 2010

What I am on to

1. Recruiting huge numbers around INDIA
  • Logistics Executive
  • Server Engineer
  • Call Coordinator
  • Network Engineer
  • Printer Engineer
  • Central Coordinator
  • Blah
  • Blah
  • Blah
2. Reading a book Called "Rich Dad & Poor Dad" by Robert T Kiyosaki
  • Don't work for Money , let your money work for you
  • Don't but liabilities , instead buy assets
  • Don't study to get a good job hence a good salary as more salary will not solve your issues in turn they will encourage you you to get in to the rat race by paying taxes , bills & that to in Liabilities.
  • Study Hard to get learned to buy assets and get out of the rat race
  • Poor people work for Money , Rich people's money works for them.

Thursday, September 30, 2010

Solution to a Heavenly Issue, Kashmir

Yesterday Rizwan resumed office in Gurgaon. As I had recruited the Kashmiri young man , i used to be more closer to him in discussing many issues. When I was in Delhi we used to discuss on many emerging topics and i too was much interested in discussing Kashmir. As he is from that land every discussion became an eye opener for me and the issue became more transparent to me. There may be n number of problems with Kashmir,POK or the Pakistan connection but the way he thinks makes all difference. He presents the common man's issue and expect a solution to that. He confers to various issues in Kashmir ; from heavy deployment of armed forces in Kashmir to the AFSPA and the general issue of Independence. What if a solution to the issue, we discussed it and got onto the following what to say..
  • Partial withdraw of armed forces from Kashmir
  • Removing AFSPA
  • Creating more employment opportunities
  • Focus on creation of employment opportunities in the valley.
  • And many more...

We have witnessed a pakistan,Bangladesh from India and the result is never been a good decision for the people or their culture. Hence to live & let live seems to be the right decision , what you say ???


Tuesday, September 21, 2010

दोपहर की आतिशबाजी

बड़े दिनों बाद वापसी कर रहा हूँ ब्लॉग मेकुछ अजीब अजीब सा लग रहा है पर अपने ब्लॉग मे खुल के लिखने मे मज़ा आता है
आज मे ऑफिस मे बैठा थाअचानक आतिशबाजी सुनाई दी और ढोल भी बज रहे थेमे उठ के देखा और हैरान रेह गयामेरे मन मे कौतुहल को मेरे साथ बैठे राम सर और विनोथ दोनों ने अजीब तरीके से प्रतिक्रिया दीये नज़ारा शमशान की तरफ जाती हुई एक व्यक्ति की आखरी सबारी थीएक सुसज्जित रथ मे जो की पुष्पमालाओं से ढाका हुआ ये सबरी पूरे भीड़ मे जा रही थीकुछ लोग इस सबारी के आगे नाच भी रहे थे और मेरे हिसाब से वो लोग मदिरा के नशे मे धुत थेमैंने जब पूछा के ऐसा क्यों करते हैं तो राम सर और विनोथ ने कहा के तमिल लोगों मे इस सबारी को हसी खुसी घर से शमशान तक बिदाई देने का रिवाज़ हैकैसे कैसे रिवाज़ है हमारे यहाँ , किसीके जाने पे दुःख तो बहूत होता है मगर रिवाजों ने हमें खुसी मानाने पे मजबूर करते हैं...

Thursday, August 12, 2010

काम धंदा नहीं था तो भड़ास निकाल रहा था


आज एक कुत्ते ने एक आदमी को काटा पर वो आदमी ने तो कुत्ते को नहीं कटा शायद कुत्ते कोभूल लगता है इसलिए उसने कटा होगा पर भूक तो मुझे भी लगता है पर मे नहीं काट ता मे खाना खता हूँ जो मेरी बीवी बनाती है पर बीवी को तो मे बनता हूँ जब वो मुझसे नई वाशिंग मचिन के लिए बोलती है पर वो मुझे नहीं बनाती है बन ता तो हलवा भी है राज भवन मे पर राज भवन तो चेन्नई मे हैं अरे मे भी तो चेन्न्ने मे हूँ पर चेन्नई किधर है वो मुझे नहीं पता पता पूछने गया था किसी को तो उसने मुझे बहूत घुमाया था दिल्ली मे पर घुमाया तो मे बी था छोटे भाई को मर वो गुस्सा नहीं खुस हुआ था खुस तो मेंढक भी होता है पहली बारिश मे बारिश अभी होने वाली है क्या मे छाता नहीं लाया लाया तो मे खाने का डब्बा भी नही आज मोटी ने चुदाफ्री बनाया था नाश्ते मे मैंने आधा खाया था बाकि उसने खा लिया होगा सुभे से गुस्सा थी मुझपे पता नहीं किस लिएपर मे खुस हूँ काम कर कर के थक गया एक मेनेजर को गाली भी दी मन ही मन मे पर मन तो अछा फिल्म था मैंनेदो बार देखि है टीवी पे टीवी स्टैंड भी ले लिया मैंने नयावाला पर उसमे मेरा उपस भी है जो मैंने किश्तों मे लिया थामेरा किश्त तो अभी बाकि है बैंक मे बैंक मेनेजर को पटना पड़ेगा इसके लिए फ़ोन करता हूँ अभी...

काम धंदा नहीं था तो भड़ास निकाल रहा था॥ पढ़ के खुसी हुई तो कमेंट डाल के कलटी मारो...

अंधा कुआँ और मे



किसीने सच ही कहा था के "अगर आप अंधे कुँए मे से गुज़र रहे हैं तो बस चलते रहिये... उजाला कहीं तो आपका
इस्तकबाल करेगी॥" ये अब मेरे साथ सच साबित हुई है और मे भी करूँ तो क्या बस चलते रहने के सिवा। बस अब उम्मीद है के उजाला जल्द ही आयेगी और मुहे रोशन करें ..

Wednesday, July 28, 2010

दिल बड़ा या दिलवाला


एक दफा शर्त खुदा ने मुझसे लगाइ के दिल बड़ा या दिलवाला

जवाब दी मैंने चुप रेह की वो लोग बोलते कम है ...

Monday, July 26, 2010

ज़िन्दगी से मौत तक



ज़िन्दगी
यूँ तो चलती है और चलती हि रहेगी...
सिर्फ मौत हि है जो आयेगी और साथ लेके जाएगी

Saturday, July 10, 2010

Small reason to a big smile


Intense tiredness was clearly visible on my face and I was looking for a seat in the 6.45 local from Nungambakkam. But to my tough luck grabbed me pushing me to the mid of the crowd. Like an ant who fights always with adverse conditions I too was trying my best. The man by my side was staring at me. i tried to find out why and found my leg on his ... which made me apologies and pulled back to line my back. The Tamil music in another man's earphone was loud enough and I took lil interest in listening the tune (as i don’t understand the language yet). Next station was kodambakkam and the moment it neared the man sitting in the seat by my side got up giving me the opportunity to put my back on it. And I don’t know what happened the whole compartment left except 2 to 3. The public who was standing settled themselves and the train started towards its one time destination, Tambram. The office returning evening crowd was tired like me and were interested in resting rather than sharing a word mouth. Everybody was intense and the daily issues which they face in their life was reflecting their situation. Suddenly an insect called Cricket flew in from the window and sat on my shoulder. The man in the front row noticed and pointed it & next i blew it by my hand and the poor fellow cricket was happy to find a seat on the face of a may in he front row & he by panicky & agony threw it to the next bay where it fall in the ground & finally found a way out. Everybody relaxed and a smile came on everybody's face. Was is the winning smile or the escaping smile that is none of anybody's concern. But it gave us a reason to smile for a while and get relaxed. By the time i was finished with the cricket's next course of action, my station was waiting to welcome me...

Small reason to a big smile

Intense tiredness was clearly visible on my face and I was looking for a seat in the 6.45 local from Nungambakkam. But to my tough luck grabbed me pushing me to the mid of the crowd. Like an ant who fights always with adverse conditions I too was trying my best. The man by my side was staring at me. i tried to find out why and found my leg on his ... which made me apologies and pulled back to line my back. The Tamil music in another man's earphone was loud enough and I took lil interest in listening the tune (as i don’t understand the language yet). Next station was kodambakkam and the moment it neared the man sitting in the seat by my side got up giving me the opportunity to put my back on it. And I don’t know what happened the whole compartment left except 2 to 3. The public who was standing settled themselves and the train started towards its one time destination, Tambram. The office returning evening crowd was tired like me and were interested in resting rather than sharing a word mouth. Everybody was intense and the daily issues which they face in their life was reflecting their situation. Suddenly an insect called Cricket flew in from the window and sat on my shoulder. The man in the front row noticed and pointed it & next i blew it by my hand and the poor fellow cricket was happy to find a seat on the face of a may in he front row & he by panicky & agony threw it to the next bay where it fall in the ground & finally found a way out. Everybody relaxed and a smile came on everybody's face. Was is the winning smile or the escaping smile that is none of anybody's concern. But it gave us a reason to smile for a while and get relaxed. By the time i was finished with the cricket's next course of action, my station was waiting to welcome me...

Wednesday, July 07, 2010

New version - Deewar

आमिर आदमी - आज मेरे पास १२ गाड़ी ,
५ बंगले ,
३ फार्म हाउस ,
२५ करोड़ नकद है ....
तुम्हारे पास क्या है
गरीब आदमी - मेरे पास बेटा है
.
.
.
.
.
.
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.
.जिसकी गर्ल फ्रेंड तेरी बेटी है ...

बाप v/s बेटा

बाप - शराब , जुआ , सिगरेट , लड़की ये सब तुम्हारी जान के दुश्मन है बेटे

बेटा - जो सकस अपने दुश्मनों से भाग जाये वो मर्द नहीं होता पापा

Monday, July 05, 2010

लगी १०० - १०० की ?

ब्राज़ील तो गया हे और अर्जेंटीना भी गई ।

जर्मनी जीत ता हुआ दीख रहा है मुझे...

क्या कहते हो ? लगी १०० - १०० की ?

Wednesday, June 30, 2010

सुस्त प्राणी का सही समय ...

किसी ने सच कहा है की आदमी को हमेशा नए काम मे अपने आप को चुनौती देना चाहिए। इससे मनुष्य को अपने सीमाओं से लड़ने और इसे बढाने मे मदद मिलता हैसमय जब ठीक चलता रहता है और सब कुछ योजना के मुताबिक होता है आदमी तब सुस्त हो जाता है और उस समय को उपभोग करने मे व्यस्त हो जाता है। पर हाँ ये जान लेना जरुरी होता है की कब नयी चुनौती का दामन थामना है और कब इस से दूर रहना है। अब मेरा ही उदहारण ले लीजिये ; मे जो की दुनिया का सबसे सुस्त प्राणी हूँ मुझे अब लगता है की ज़िन्दगी जब पटरी पर अरे रही है अब मुझे ज़िन्दगी से दो दो हाथ कर लेना चाहिए। आगे भी ये कटा रहूँगा मगर सोच रहा हूँ कुछ नया अगर अब नहीं करूँगा तो हाथ पैर सुन हो जायेंगे और टाइम का भी क्या भरोसा... अब बस देखते रहिये मे क्या क्या करता हूँ ... घब्रयियी मत मे आपको तो बताता रहूँगा ही...

Tuesday, June 29, 2010

२०१० बिश्व कप फुटबाल कौन जीतेगा ??

मे उस दिन बिस्तर से उठ के बैठ गया। न न किसी कीड़े ने नहीं काटा मुझे और ना ही किसी ने मुझे बुलाया था। ये तो जलवा था पैरों का जो गेंद को बड़ी ख़ूबसूरती से इधर से उधर ले के जा रहे थे। टीवी के सामने मे चिपका हुआ था शाम से और मेरे सामने दो बेहतरीन टीम खेल रही थी५ बार का चम्पिउन ब्राज़ील और उसको टक्कर दे रही थी युबा दिलों की धड़कन च्रिस्तिअनो रोनाल्डो की पोर्तुगल। दोनों तरफ से प्रयास चल रहा था गोअल करने का मगर सफलता किसीको नहीं मिल रही थी। ब्राज़ील की टीम नपी तुली पास दे दे कर आरमान कर रही थी तो पोर्तुगल की पूरी टीम गोअल बचने और प्रत्याघात मे जुट गया था। एक बात तो मैंने नोट किया के ब्राज़ील की टीम बड़ा सम्मिलित होके और समन्वय से खेलती है और मुझे उनका कल अछा लगा। पर मुझे नहीं लगता की ब्रजल ये कप जीतेगा। कप का दूसरा प्रबल दाबेदार माना जा रहा है आर्जेन्टिना जिसकी कमान सम्हाले हुए हैं खुद माराडोना। माराडोना जो की १९८६ मे आपने देश को बिश्व कप दिला चुके हैं उनके पास मौका है के फिर से अपने देश के लिए ये खिताब जीतने का। उनके पास है मेस्सी जैस खिलाडी जो की fifa player of the year घोषित हो चुके है और समालोचनाकरने वाले कहते हैं की यह आज के माराडोना हैं। पर मैंने उनकका भी खेल देखा पर मुझे नहीं लगता के ये भी जीत सकते हैं। हाँ ये भी हो सकता है की मुझे किसीका का खेल ही अछा न लगता हो । खैर मुझे क्या पर मे चाहता हूँ की argentina & Brazil फिनाल मैच मे खेलें और हम लोग मज़ा उठायें।

Thursday, June 24, 2010

हे भगवन मुझे बचा लो ...

भगवन नाम की चीज़ से आज मे बड़ा परेशान हूँ। आप बोलेंगे क्या अजीब प्राणी है यह; सारी दुनिया जिसको पूजता है जिसकी रेहेम को तरसता है उसी से ये परेशान है ॥ पर क्या करूँ यारों उलझन ही कुछ ऐसी है , सुन लीजिये पहले शायद आप मेरी मदद कर सकें। दोस्तों मेरी समस्या यह है के मे किस किस को पूजूं ? मुझे याद है जब मे छोटा था मेरे घर मे शिव जी की पूजा अर्चना बड़ी धूम धाम से होती थी और होगी क्यूँ ना पंडितों का घर हो और वो भी शिव जी को पूजने वाले तो यह बात तो जायज है। तो हुआ यह के मे जो की बड़ा बाचाल और भोला था तब शिव जी को पूजने लगा ..फिर मैंने कौतुहल मे पूछा तो गणेश जी के बारे मे सुना और माँ पारवती के बारे मे भी सुना और इस ग्यान को सर्वेसर्वा मान कर उनकी पूजा करने लगा। फिर मेरे मनमंदिर मे विष्णु जी का प्रवेश हुआ और मैंने उनके अवतार और लीलाओं के बारे मे जाना तो थोडा उनकी तरफ भी आकर्षित हो गया। और ये सब रामायण और महाभारत की पढाई के दौरान हुआ। फिर मैंने मातारानी के हजारो रूप के बारे मे जाना और आज्ञाकारी बालक की तरह उनकी भी पूजा करने लगा। फिर मैंने कुछ भक्त और सेवक भगवानो के बारे मे जाना जैसे की अपने बजरंगबली , गरुड़ महाराज , अरुण देव इत्यादि इत्यादि। और क्यूँ की मेरा मन भी मेरे भगवानो के लिए उतना ही भक्ति भाव से भरा था तो उनसे भी मुझे लगाव हो गया। और इस सन्दर्भ मे मैंने बहूत सारी अच्छी बातें सीख ली। फिर मुझे पुराण से जुड़े हर व्यक्ति विशेष(कुछ राक्श्यसो को छोड़ के) से प्रेम हो गया और मे भक्ति भाव से भर गया। पर एक प्रश्न निरंतर मेरे मन मे उठता रहा के मे किस को पूजूं क्य्यों के मे सोचता था के किसी एक भगवन को पूजूंगा तो मेरा पूरा ध्यान उनके लिए एकत्रित हो जाता है और मे अन्य देव देवियों को निराश करूँगा। कभी मे गणपति के भक्ति मे लीं होता हूँ तो शिव जी फिर विष्णु जी फिर बजरंगबली और मातारानी का ख्याल दीमाग मे आता है और मे कहीं एकाग्र चित्त से किसी की भी आराधना मे अपने आप को व्यस्त नहीं कर पाता । मेरे भगवन को मेरी ये परिस्थिति शायद कुछ कम लगा तो उन्होंने मेरे जीवन मे अपने बारे मे कुछ और ज्ञान बर्षा कर दी और मे जो की पहले से ही एक अजीब प्रहेलिका को लेके परेशान था , अब कहीं का नहीं रहा। अब देखिये हुआ क्या ; मे जब ८बि काश्य मे था तब मुझे जेजुस च्रिस्ट जी केबरे मे जन ने का सौभाग्य मिला और मे भी उनके बारे मे जान कर भक्ति मे गद गद हो गया। अब मेरे भक्ति के प्याले के एक और ग्राहक की बहोत्री हो चुकी थी और मेरा मन यह निष्पत्ति लेने मे नाकाम था के कौन इस का स्वामी है। शायद भगवन को भी मेरा ये समस्या रास अरे गयी तो उन्होंने मुझे शिख धर्म से परिचि करवा दिया। फिर मे इस्लाम से परिचित हुआ। कहीं गुरु की वाणी ने मुझे मोहित किया तो कहीं इस्लाम की एक अल्लाह मे बिस्वास ने मेरा मन मोह लिया। इन सब भगवन ( गणेशा,शिव जी, मातारानी, विष्णु जी, बजरंगबली, जेसुस च्रिस्ट ,नानक देव,और अल्लाह ) जब मेरे दिल-ओ-दीमाग मे छाए हुए था तभी सिस बाबा ने मेरे दिमल मे दस्तक दिया और अपनी सरल परन्तु सत्य बचन से मेरा मन मोह लिया। अब मेरा दिल भी क्या करता किसीको छोड़ भी नहीं सकता और न ही किसी को कम अंक सकता इसलिए इस गणित मे जुट गया के किस भगवन को कितना देना है ... अब मेरे भाई ये कोई कम परेशानिवाली बात थोड़े ही है ... मुझ पर हसना मत प्यारो जितना समय लगाता हूँ इस काम मे उतना ही ज्यादा भागिदार मेरे दिल मे आते है और मेरी भक्ति बहूत कम पड़ रही है .... कृपा करके कोई उपाय बताओ और मेरी मदद कर मुझे आप्यायीत करें ....

Saturday, June 19, 2010

Yash , the smallest star in our planet

Next G
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From DTH connection to service delivery....

It happened like this ... the daily rising football fever woke up the die hard Argentine fan in me and I being a restless dirty fellow consulted my better half & we landed on a decision to go for a DTh connection and the very next day i googled to get the contact numbers and got success. And in the evening like a proud Indian to have anything booked over telephone I dialed the number and after doing the selection of the right pack i handed over the phone to wify to book the same in her name and she happily did that as well. As committed i waited for 2 days for the installation but to my surprise I did not get a call and from then I am following & this is the 5th day to do so without any result. The DTH provider(Tata sky)the so called best among all available has not bothered yet to call & update the status yet. For a country like so big and the private sector so full of potential customers , is the way we are delivering the right service ? I doubt. Here where people are guarantying 30minutes for an Italian pizza but you scream for an ambulance and i am sure you will not be picked up before 1.5yrs or more that that. Are we so directed towards delivering better service. ANd why I am worried ; because i have ordered something & not getting the same in time or I am working in the service industry where time is money or like to badmouth the corporate culture. No I think my dth drive & soccer love is the reason for this. What to do you do your job & i will await the call & the next match ...
proud to be an indian.

टाटा स्काय लगा डाला तो लाइफ झींगा ला ला !!!

मेरे खेल भावना को तब एक जोर का झटका लगा जब मैं बर्तमान दक्षिण अफ्रीका में चल रही फूटबाल महासंग्राम में आर्जेन्टीना के पहले दो खेल देखने से बंचित रह गया। यूँ तो मैं किसी मौके को चोदता नहीं मगर किसी कारन बस ये मैच मुझसे छुट गए। इससे बौखलाए मैंने तुरंत फ़ोन लगाया और सच्चे भारतीय होने के नाते फ़ोन पर ही एक DTH खरीद डाला। पर्मेरी किस्मत देखिये के इसे इन्स्टाल करनेवाला वो कर्मचारी की इंतज़ार मैं मैं अब भी अपने आप को कोष रहा हूँ। पर एक बात तो है की "ज़ल्दी का काम सैतान का " ये मैंने सिद्ध कर दिखाया। और धन्यवाद है भारत में दूरसंचार के प्रगति और सर्कार की प्रतिबद्धता को जिसने हमें गुमराह करने वाली निजी कंपनियों के साथ मिलके अच तरीका निकला हमें परिहास करने का। पर कोई बात नहीं हम भी लाखो भारतीयों की तरह चुप चाप हमारा समय बदलने तक इंतज़ार करेंगे। और जीस दिन सर घूम गया उस दिन सारे भड़ास जैसे भी निकलेगा सबके लिए बुरा होगा॥ वाहरे मेरा खेल भावना और टाटा स्काय

Wednesday, June 16, 2010

FIFA World cup 2010.(SA)

The biggest show in the FIFA soccer world cup is on display in the south African continent and I feel sorry to write late on the biggest event for which I had to wait for years to come. With a colorful display in the inoguration day addressing the audience the President of South Africa dedeicated the tournament to the millions of soccer lovers wherein the absence of Nelson Mandela was felt among the audience as well. But Mr.Mandela, who was in mourning for the sad demise of his great grand daughter sent the message that " the game must beging & everybody should enjoy it". Sources say that the game will be a factor that will give the South African GDP a growth of 0.5% and the continent will be highly benefitted out of it. With people across the globe visitign the island nation to witness the action the hospitality & service industry will benefit the most. Elaborate arrangement has been made for the security & happy going of the tournament as well. Huge amounts have been put on stake from players security to building infrastructure, from television rights to live matches,from winning prize money to advertisements everywhere money is floating and everybody is eyeing at the happy going of the intelligent game of football. We too with folded hands in front of the Television sets welcome the game begin & go on on full swing.
People who know soccer closely having eyes on their favorite team how can I deny mine ; I am always eyeing my favorite country in the game of football & my all time favorite team was, is & will be Argentina,the home to the soccer God ( Diego Armando Maradona). Now whenever we say that we have won the match you must consider that Argentina had a win. We have won the first match against Nigeria and ow aiming to tame the Koreans.

Tuesday, June 15, 2010

Chennai - I call it as the city of Ganesha

wherever you go wherever you peep too, you will get either a statue or a photo or a wall print of the great ganesha in different forms & in different statures.Here the great Ganesha is on the entrnce of the houses making it an auspicious place away from all adversities, he is put on the chowks as a witness for all well beings and in temples as showering blessings and whereall ..he is put everywhrere and anywhere as his great name "Virata - the huge,abountful,the biggest in size."

- jai shree Ganesha...

Wednesday, April 14, 2010

- Prathama parichaya -

Mo hisab re se – “tike moti “

kie pasand karichi – first maa,sana,mu,baba & majhia.

kama kana kare – “mote bhala paye”

kana karichi- “mo fridge ra di ta goda bhangi deichi”

ta mummy kuhanti – “aama jhia kana ate kala ki”

se kahe - “tamaku laza laguni”

ta bapa kuhanti – ” jitubabu aao kana sewa kahilani”

mate kana lage – “tike pagala matra mate bhala lage.”

kana kuhe – “sanja hele gandhia katha”

kana asuni taku – ” bhata galibara aseni sethi pain electric cooker rakhichi”

nua demand – ” gote ac darkar kahuchi’

loke kuhanti – “mu paisa dekhi baha hauchi matra mu jane , sie bi jane je seta micha”

mu kana pain baha hauchi – “mu taku bhala pauchi aau sie bi …”

baba kahuchanti ” kia kana kahuchi mu janini matra mu ta side re”

Tuesday, March 30, 2010

Gratuity Payment & Rakesh


One fine morning Rk (one of our Employees) asked me ” Sir, what is gratuity & am I eligible for the same “। I knew his intention ad asked some time to give complete and factual answer & he agreed। I recalled my books in Labour laws and summarized him in this way & I am sure the summerization will clear the basic doubts & ambiguity about gratuity।

Gratuity is a retiral benefit only which is applicable to all those establishments which are registered under the factories Act & the shops & establishment Act।But this is optional for certain establishments.

  • Employees can claim the gratuity payment or the Employer can give the gratuity to the Employees only if the employee has completed at least complete 5 years of continuous service.
  • Gratuity is calculated on the last month’s basic+DA and the gratuity calculation is as under
    Gratuity Payment = Last Salary drawn * Number of years completed * 15/26
  • Last drawn Salary = Basic+DA
  • Number of Years completed = ignore below 6 months & count a full year if more that 6 months
  • 15/26 = 15 days salary per 26 working days
  • Maximum gratuity payable to any employee is 3,50,000
    But folks please take a note that any break during the service will not fetch you gratuity. Transfers are allowed under the same employer nut not the rejoining cases.

    With this i have roughly covered all possible general information about gratuity for a Lehman & hope things are pretty clear.

    thanks

    -jr

ek khuda hi janun

Be-adab ab mujhse jawab wo mangte hain aur
is tarah wo mujhse ek zindagi mangte hain
koi samajhta hai to koi dhutkarta hai ab,
rakhun kadam kahin to jameen hi chinte hain
sadaa mere dil ki sune koi use khuda janu,
aur wafa meri bhi jane to bhi use ab khuda manun
Mela ab ye nafrat,mohabbat,wafa aur bewafa
main janun to ab bas ek khuda hi janun

ek khuda hi janun

Be-adab ab mujhse jawab wo mangte hain aur
is tarah wo mujhse ek zindagi mangte hain
koi samajhta hai to koi dhutkarta hai ab,
rakhun kadam kahin to jameen hi chinte hain
sadaa mere dil ki sune koi use khuda janu,
aur wafa meri bhi jane to bhi use ab khuda manun
Mela ab ye nafrat,mohabbat,wafa aur bewafa
main janun to ab bas ek khuda hi janun

Saitaan bana gaye !!

Mere vichaar he mujhse rooth gaye aur
jinse main tha wo hi kahiin chooth gaye
tha to main bada sehri is jahan main magar
insani bhanaon ne he mujhe saitaan bana gaye…

Mera Moneyplant aur main…


Mujhe yaad hai bahat din pehle main aur pramod sir office ke bahar baith ke jab baein kar rahe the tab mujhe unhone kaha ke money plant lagane se paisa badhte hain aur main use sach man bhi lia। Phir mujhe ameer ban ne se kaun rok ta to maine turant hi apni nazar daudai aur aas pados main lsge hue sare paidho me se money plant dhundne laga। Peeche se Pramod sir ne phir kaha yaar aise nahiin hota money plant churana padta hai to ek minit ko main ruk gaya par kisko dhanwan ban na manzoor nahiin aur waise bhi ek paidha hi to gayab karna tha to maine aao dekha na taao apne building pe hi lage hue paudho pe hi haath saaf ki। Dosre hi din ek badiya si container lia gaya aur mere desk pe sajaya gaya… par mujhe aaj bhi shak hai ke mere bank balance pe kuch khas farak pada hai ya nahin( par paudha ab bhi tandroost hai)।

Can you answer ?

  • God’s address ?
  • Meaning Of Life ?
  • Reincarnation ?
  • Why human being is different from others ?
  • Why there are many forms of the God in the world ?
  • Who decides what will happen next in out life ?
  • Why people love or hate ?
  • Why everybody doesn’t get food daily ?
  • Why are we so selfish ?
  • What happens to us after death ?
  • Why Human life is so neglected ?
  • Is money everything ?
    Continued…

Thursday, March 18, 2010

Reforms in the Educational industry & the other side to monetize the Market..

In a landmark decision in the educational industry the union minister for Human resource Development has given a nod to all the international universities to open campuses in India and hence opened up the gate for all the biggies in the educational institutes across the world to peep into the huge market in India. To call it a land mark decision I would not agree to what the minister has done is right. Because the Indian education industry is a much big market wherein the foreign players will definitely look at. But there is a question” is the foreign degree provided by the foreign university will keep the same value, if the same is obtained in India”. I personally would not agree to the fact. i remember my batch mates in MBA were looking for a degree from the Massachusetts or Harvard or Oxford but it was quite a tough task to get that. But people were doing that and there was a feeling of achievement and accomplishment after doing that degree. But once the decision is rolled out then my friends who have done a degree from an European or Australian university would definitely be little frustrated. But yes the degree from the top most colleges like the Harvard/Oxford will have their own repute & people in all age would strive to get that world-class education whether their campus is in India or anywhere else.

My question again; will any institute of that kind will be coming to India ? is there any criteria set for the universities to come into India or any other University in Libya or Ghana which my ancestors had no idea can come to teach us ? I am sure that the minister has no answer to that the except ” the cabinet committee is reviewing the final memorandum before it is explored.” Being under the WTO we cannot deny any university to open campus & run courses and hence can loose control of the private and anonymous universities to play with the future of our students. I would request the minister to get strict standards set so that good universities/Institutes can come to India to deliver world-class education. Secondly can we again strengthen our own educational system or existing Good universities at every state level to compete with the foreign players. If no then this step by the government is like a lethal weapon against our own education system. When we are diminishing the number of Deemed universities to keep private players out of the scene then how can you leave the platform all set for the foreign players to explore. If the Indian Economy is growing by 10-12% every FY then why cant we spend 4-6% of our GDP in strengthening our Education system which a developing country like ours must afford to fill up the requirement of skilled manpower which we foresee 10 years down the line ? Look at China who is investing nearly 6% of its GDP in education system for the last 8-10 years and as a result of which the foreign students’ number has substantially increased in number because of the uprising standard of education. Now its time to strengthen our existing education system, empower the IIT’s,IIM’s & other that level institutes, Open up new institutes of that repute and finally setting standards for all the foreign player in the industry to secure the future tutors else people will come, collect huge amounts in the name of any other university in Europe or somewhere else leaving us nowhere.

Tuesday, March 16, 2010

there are many a things in life that don't need any explanation and you too dot feel the way to ask the same reasons as well and i am sure you will agree to my words here. things like why people care for you so much and why you become so loyal to people and at times with few material things...these days i am too experiencing the same and i really fall in a decision where to go with the questions. Even people too in reply want the same from you as well and after all my introspection and many analysis what I find is an answer to this questions.My answer to all this unquestioned things the answer is "human is a social animal unlike other living things." to personalize this post " i am missing my things,my people and my days...

Monday, March 01, 2010

HAPPY HOLI

There are many occasions when it was a unwanted display of entertainment and today we all friends displayed the same. And the occasion was Holi. Usually i don't play Holi but today we played and the same was triggered by one of our friends who hap preplanned it. He woke up early and got some colours from the market and it was early morning 8.30 when we all were enjoying the off day.He suddenly entered the room and first asked us to come out of the room then one by one we were colored. Sooner we were out of any dilemma we were charged up and anticipated the same way.Thereafter we went out in search of other friends in the area and got 3 friends and colored them. One of us had a dirty sticky color which was used on faces and you wont believe the faces were so black that we could not recognise ourselves in the mirror.But after all it was a healthy enjoyment.with the colored faces we were all one and i think that was the message we passed to others that after all dissimilarities we all are humans first then anything else...anyway we enjoyed it thoroughly and hope you had your part....

Saturday, February 13, 2010

Being what you are at your work...

These days I have been unfair to this blog and my few readers... there could have been many reasons for that but i would humbly say my job was my priority every-time and i don't want my work is suffered in anyway...it was the client audit and my always standing recruitment which denied me to do anything else.but i must say all these time when i spent in working was too working and productive too. i must tell you people that i have realized that if you determine to do something the obstacles fear you and you excel in it. There have been many developments across me and i see many positive changes which is a good sign. Many a times i find myself as what my work, my job is.. but in that way i find that the me in me is vanishing in me day by day.It was some sunday where an article in the times of India made me introspect. And i must say in one or the other way we are really missing the real talent in our-self except the one which earns us bread...
I used to sing a lot in bathroom,in my one room rented home & many a places where people used to put cotton in their ears to avoid me,but now if i look back for many months i have never sunga song of my choice and have lost all sur & taal. According people who sit in my cubical , i am a good singer and i share a good taste of music with my team leader and there are many moments when we sing the some song while we are on job. It has been a mantra for me that i murmur during my work to make it a happening and have suceeded every-time to overcome stress.
I used to be a good cook but i dont get time to experiment my taste buds.but i am determined to be a good cook atleast for my wife.And there are many things which i think i have forgotten or ket away from practice and that wer things i used to enjoy and matterialize my time.Being into somewhat literature and art lover, i used to do many good things in day to day life which in period of time but these are being reduced in comparision to other things. This can directly or indirectly impact work & personal life as well as it decided your mood ad the kind of attitude you build while approaching your work. I feel restless when i am asked to sit quietly and work in a way which is restricted to strict official guidelines and regulations. but when its an environment to express my ideas and my creativity at work i find good results out of my efforts. And i think definitely everybody needs his space at work to deliver the desired result.This is my prospective to look work life balance.But every-time this can not work for everybody as people and persons are all a different entities. but it surely impacts the work life balance...Being in hr i have this strong desire to make work place a more happening one rather than all desks & tables with pcs & demanding results.I hope you will come by me...

Sunday, February 07, 2010

Sunday, January 31, 2010

बिदाय दिल्ली ...

आज सुबह की पहली किरण के साथ नीतू(मेरा छोटा भाई) ने दिल्ली को सलामी देते हुए घर को चला गया... किस्मत भी क्या चीज़ है यारा कहाँ कब किस की पलटटी है कौन जनता है॥ कहते है की एक लम्हा काफी है और ये मैंने आज महसूस किया। आज को एक साल पहले वो दिल्ली आया था एक सुनहरी भविष्य के तलाश मे और उसको मिली भी। ठीक ६ महीने उसने यहाँ एक कंपनी मे जॉब भी किया और खुस था॥ पर अचानक सितु के घर से बहार जाने से वो भी घर के आस पास जाना चाहता था उअर उसको मौका भी मिल गया।
अब वो बंगलोर के ऊँची इमारतों के बीच अपनी उज्जवल और नवस्चुम्भी भविष्य को तलाशेगा .कल वो थोडा दुखी भी था यह सोच के क्या होगा।
बिदाई तो दी उसने मगर थोडा परेशान था..इश्वर उसकी राह आसान और सफल बनाये ...

Friday, January 29, 2010


हुस्न-ओ-सितम से हमें यूँ रोज़ सताने वाले महरूम न कर हमें एक दीदार से तेरे

कोई और कहाँ एक सिवाए हमारे,झुलसते है..... और मरते भी हैं इश्क मे तेरे

Sunday, January 24, 2010

yo adrian “I did it”

Applicability of the Labour Welfare Act.

Here is an answer to applicability of the Labour Welfare Act.

Following are the states where the Labour Welfare Fund s Applicable.

  1. Andhra Pradesh
  2. Chattishgarh
  3. Goa
  4. Gujrat
  5. Haryana
  6. Karnataka
  7. Kerla
  8. Madhya Pradesh
  9. Maharastra
  10. Delhi
  11. Punjab
  12. West Bengal
  13. Tamil Nadu

Following are the states that are not covered under this Act.

  1. Asam
  2. Bihar
  3. Himachal Pradesh
  4. J&K
  5. Jharkhand
  6. Meghalaya
  7. Orissa
  8. Pondichery
  9. Rajasthan
  10. Sikkim
  11. Tripura
  12. Chandigarh
  13. Uttarakhand
  14. Uttar Pradesh

Saturday, January 23, 2010

situ left Bam

कल सितु बंगलोर चला गया नौकरी के तलाश मे ... भगवन उसे कामयाबी दे और वो आसमान की बुलंदियों को छुएमेरे सुभकामनायें हमेशा उसके इस पथ पे फुल सजाते रहे बस यही दुआ हैकल एक और यादगार दिन था जब की कुछ बड़ी परिवर्तन मुझे हिला के रख दिया। वैसे तो आम बात है मगर सितु का घर से जाना, मेरे बाबा के लिए एक सदमे से कम नहीं था। सबको लगा के ये मामूली बात है के बेटा बड़ा हो गया और अपने भविष्य धुंडने के लिए बहार गया पर बाबा अकेले हो गए हैं अब और कल बच्चो की तरह सितु को याद करो रहे थे, और करे भी क्यूँ ना। हम दोनों भाइयों के जाने के बाद वो अकेले सब काम संभाल लेता था और बाबा के सबसे करीब भी था, है, और रहेगा भी। पर हाँ कुछ भी हो कल एक बात पता चल गया की बाबा अन्दर से कितने नरम है॥ जैसे पेड़ से कोई टहनी टूट टी है तो दोनों पेड़ और टहनी दोनों को दर्द होता है वो मैंने कल महसूस किया। रिश्ते भी कितने अजीब होते हैं ...हम जिसे दर्द पहंचाते हैं उसके दर्द केलिए भी हम रोते है। वह रे भगवान् अजीब तेरे खेल और अजीब तेरे बनाये रीत ...

Thursday, January 14, 2010

इन-सा-अल्लाह सब ठीक हो जायेगा...

बहत दिनों से कुछ लिखने को कलम तरस रहा था तो आज ये पोस्ट लिख दिया. वैसे तो मे अपने हाथो से कागज़ पे लिखना पसंद करता हूँ मगर आज के internet और gprs के ज़माने मे अगर मे कागज़ पे लिखने बैठूं तो मेरे हस्ताक्श्यर तो अछे हो जायेंगे मगर इससे बहूत कुछ बर्बाद हो जाता ....जैसे की मेरा समय , मेरे कलम के स्याही और कुछ पन्ने कागज़ के और सबसे महत्वपूरण लोगों का मेरे प्रति प्यारइस लिए मैंने भी कागज़ कलम छोड़ के बोर्ड चुन लिया.वैसे तो मेरे दिल मे कुछ रुकता नहींकोई कहता है के मुझे लोग बहूत पसंद करते हैं पर इसके जवाब मे मे जब अपने आप को लोगों के नज़रिए से देखूं तो उनका ये मनतब्य कुछ खोकला लगता हैमुझे इससे कुछ फरक तो कभी पड़ा नहीं और नाम हे पड़ेगा क्यूँ की मेरा मन यह है की अगर मे ठीक काम करो रहा हूँ तो दुनिया को जवाब दे सकता हूँ और ये मेरा अपना दर्शन शास्त्र हैमगर हाँ कुछ ऐसे घटनाएँ घटी है जो मुझे बिचलित करती है और मे मजबूरन एक अंतर्द्वंद मे जुट हूँये मेरा भ्रम भी हो सकता है मगर मे किसी प्रकार के संदेह मे अपने आप को गुमराह नहीं करना चाहताइसलिए हमेशा मे अपने आप को सवाल करता रहता हूँ के क्या मे सही करो रहा हूँ और इसका जवाब "ना" मे नहीं मिला मुझेकभी कभी आम ज़िन्दगी के समस्याएँ मुझे बिचलित करती हैं और मुझे बार बार एक सवाल पूछती है के बेटा जीतू, मानब संसाधन अधिकारी, तू अपने आप को समझ पाया है , तू अपने रास्ते सही से चल पाया है ? तो मे थोडा परेशां हो जाता हूँ और एक शरारत भरी हंसी के साथ जवाब देता हूँ "अल्लाह मालिक" और "इन-सा-अल्लाह सब ठीक हो जायेगा और आगे बढ़ जाता हूँ. क्या सोचते होंगे लोग मेरे बारे मे ....I don't care पर मे खुस रहता हूँ. मेरे दोस्त भी कहते हैं की तू हमेशा खुस कैसे रह सकता है जबकि तेरे ज़िन्दगी मे भी हज़ार समस्याएं है तो इनका जवाब मेरी एक हलकी सी हँसी देती हैऔर मे हस देता हूँ इसलिए के मुझे भी नहीं पता मे इतना खुस कैसे रहता हूँखैर कोई बात नहीं

दुनिया मे गम और भी है ग़ालिब
मे हस के उदा दूँ ऐसे (गम) ढेर है मेरे झोली मे ....


इन-सा-अल्लाह सब ठीक हो जायेगा...

14th Jan 2010

Now its time for a change and the transition needs a greater focus to make life more complicated. Many things need to be changed , need to be managed and i am at a condition wherein i am loosing my concentration. And when i loose concentration it may be because of few things like either my work is not aimed towards the right direction and ultimately making me frustrated or people around me are not reacting properly. But i hope things are in shape and being as natural or somewhat in line and i am not at all frustrated now & never i would be. iI am just keeping my cool and expecting things to settle down smoothly. There could be temporary distress that is making me restless but i am sure if right efforts are put then results are there for sure.the same is happening to me as well. i am just trying to make optimum utilization of the resources. There are many things running in my mind and i am little busy in placing them at the right place. I am sure things will be normal very soon.

Tuesday, January 05, 2010

“जहापनाह तुस्सि ग्रेत हो तोह्फा कबुल हो …”

This Sunday, with Nitu, i watched the film “3 Idiots” and i liked it. I have not read the book by Chetan Bhagat but the way the script is presented before the audiences was worth watching. From pranks in college to the message passed to the society was very good. in one case the film is giving a good message and trying the break the ice and make it a concrete mindset in the older generation which is imposing their dreams on the next generation and hence challenging the traditional idea on inheriting professions and regulating the younger generations. The way the message was passed on was very nice and kudos to the writer and if its Chetan Bhagat then hats off to him. The message, apart from the one mentioned above was to influence the youth to choose before they go on fighting with life. Rather than parents deciding their children’s fate the focus was made on to choosing careers of interest and pursuing excellence in every area. The picturization is too good. My good wishes are there with Mr.Chopra. Aamir being a veteran in action is unmatchable in the industry now. Many congratulations to him as well.

The bad thing about this film is in Media these days as there is a controversy going on between Mr.Chetan & Mr.Chopra. Chetan is claiming that it’s his book “five point Someone” which is in action with Aamir and the other party is denying about the same. I have not read the book but the question is that why Mr.Chetan is worried and what is the issue now. In one way if Chetan is sauig that he has nothing to say against the producers then why panicky and if you are bothered then sue the other party rather than making noise. How many were aware of his book before the release of the book but this is the film that has reached the general public and the message is really reaching the general public. If the idiots team has done that then why to get on to war with them? just give them a standing gesture, that’s it. and yes if you think they have done something Wrong with you then go the courts and sui them. its simple. I hope i am more simple & clear in getting you my message.

And the worst thing that happened was yesterday when 2 children were found dead in school toilets. The schol authorities said that last year one of the two deceased child was failed in his examnination and was running under pressure where the second too was a similar case. This is a bigger concern where the films and any other element is affecting adversely on the society. My humble request to the sosiety to take up all the positive things and keep away the nasty things. In another news 5 medical students were found guilty in ragging junior students in the way “जहापनाह तुस्सि ग्रेत हो तोह्फा कबुल हो …” and were penalized. A committee has been made to review the film and to suggest steps to remove certain scenes but it’s too late as we have already lost two children.



The film is good and we should take ample good things in it & not the bad ones.

Monday, January 04, 2010



Vande Shinharudha Devi khadga kharpara dharini

Durgati nashinee durga adyashakti sanatani

Sharanagata deenarta paritrana parayane

Sarv syarti hare devi narayani namostute

Maa ke paavan charano main mera sat sat pranam…



This was a gift for me and i had the opportunity to visit the most sacred place on earth “Vaishno Devi”. Placed on the Trikuta Hill the goddess mother is blessing us and it was a much awaited call for me to visit her and I am obliged.

It was a sudden thought in my mind to visit the Goddess mother and eventually she called me. It happened many a times that visits to her place was planned but at the end cancelled for me. But this time I was lucky to get a chance to visit the shrine. As usual we were the same company of 3 ( Me, Tapan & Pramod Sir) but this time Nagendra added to it to make a batch of 4 for the visit. We tried booking train tickets but due to 3 days leave and huge rush we did not get the tickets. We tried booking Tatkal tickets too but were not able to do it. Finally we decided to go by bus and that to Roadways. And once we decided to go for it we never set back. Hence it was 24th Dec evening all 4 of us started our journey from our office only. We hired a cab to reach ISBT,Kashmiri Gate. We reached Kashmiri Gate at around 8.30 in the evening. Being the peak in winter the temperature went down to below 10 degree and in the deem mercury street light Delhi was looking great. Wishing one another Merry Christmas we left office and reached ISBT but looking at the chaos in the Bus adda we were disheartened to see the long queues for tickets. There were no bus and the public was waiting for more than 5 hours for ticket with no result. After waiting for around and 1.5 hrs we decided to go via Ludhiana and boarded a Haryana roadways bus. We were about to get tickets I got a call from Pramod Sir asking us to get down as he got a direct bus to Katra. We suddenly got down from that bus and boarded the direct bus to katra. This is how we used the experience of Pramod sir and thanked him. After the bus started towards the destination at around 11.30 pm in the night, we had the heavy alu ka paranthas with aachar and tried to sleep. At around one o clock in the night the bus halted at some place n we had coffee. The bus den dwelled on to the hills and we were trying hard to get ourselves some sleep but the Haryana Roadways bus bound by his nature was preventing us to rest. There were nasty jokes and fun among 4 of us wherein we got few companies as well during the travel. Finally around 11 am we reached Katra, the place from where we had to start the 12 km walk upwards to rich the holy shrine. Being the busiest season of the year we found little difficulty in getting a hotel but finally we managed. We did a brave job & took bath in the cold water on the hillside hotel and started towards the shrine. It was around one in the afternoon hence we had food and reached the footsteps. there was a long queue for security check up and then we started climbing the hill. There was a shops on both sides of the road and everything was made available but on paying cost for it. With Tapan & nagender being younger people than we two had started with ret pace but sooner after climbing 2 to 3 kilometers Tapan found to be the most tired man and was lagging behind us. There we found the Rabbit & turtle story proving worth and the whole 12 kn climbing Tapan was the most sufferer. He had vomiting too and few related complications but we were determined to get him to the top. So sometime it was Limca to sometime its Juice to the healing tablets were at his service to get him timely relief. The time we reached the shrine gates Tapan was fine and was dwelling with enthusiasm to get Darshan. We reached the Gates of the holy shrine at around 11.30 pm in the night but to our surprise a kilometer long three line queues of people were already waiting for the same purpose. We then stood in the queue to get darshan and our turn came at around 12.20 in the night and we were lined up for darshan and it was like a sacred time when we got a glimpse of the holy Mother goddess and enriched our lives with joy and her blessings. This was my first visit to the shrine and was a memorable one. Then we had food and returned back in the night itself. We reached our hotel back in the morning and started towards the bus adda to catch bus back to Delhi. Again a Haryana Roadways helped us in getting back to Delhi. Our motto to get darshan and get blessings from the mother goddess was fruitful. We prayed to the mother to bless us and may our wishes come true. The year 2009 has brought us many good times & bad timess but we were there to thank the mother goddes for all good times and to keep us safe guarded from all evil things and we all expect the new year 2010 will bring us good time and best fortune to fulfill all our dreams.

There were few instances like bus breakdown and couple of more occasions which gave us ample time to spend together and relax. I know this could be a much better post. So please get me your ideas to make it better..