Saturday, November 13, 2010

मुझे कुछ टाइम दो बस...

मुझे अकेला क्यूँ लग रहा है आज ये सोचने बैठा तो मुझे कुछ यूँ लगा के ज्यादा करीबीमे कुछ या तो भूलता जा रहा हूँ या कुछ ज्यादा करीबी से अपना रहा हूँफिर मुझेएहसास हुआ के मे तो यहाँ दक्षिण मे हूँ और मेरा दोस्तों का ताँता तो उत्तर मे कहीं छूट गया हैखिअर कोई बात नहीं किसीने सच हि कहा हैं के आदमी खून के अलावा सभी रिश्ते खुद बनता हैं और मुझे भरोसा है की मे भी बना लूँगाऔर वैसे भी सुबह से शाम तक तो कार्यालय और शाम ढलते ही भार्यालय से किसको छुटकारा मिला है जो दोस्तों की बात सोचेगापर मे तो ऐसा कभी था हि नहींदोस्तों का साथ मिले तो दुनिया भूलने वाला मे आज कुछ अपने असली रंग से बहूत दूर कुछ खोया खोया सा लग रहा हूँ। पर अब भी मे कुछ बूरा दोस्त भी नहीं हूँ और मुझे कुछ टाइम दो बस...

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