Saturday, January 23, 2010

situ left Bam

कल सितु बंगलोर चला गया नौकरी के तलाश मे ... भगवन उसे कामयाबी दे और वो आसमान की बुलंदियों को छुएमेरे सुभकामनायें हमेशा उसके इस पथ पे फुल सजाते रहे बस यही दुआ हैकल एक और यादगार दिन था जब की कुछ बड़ी परिवर्तन मुझे हिला के रख दिया। वैसे तो आम बात है मगर सितु का घर से जाना, मेरे बाबा के लिए एक सदमे से कम नहीं था। सबको लगा के ये मामूली बात है के बेटा बड़ा हो गया और अपने भविष्य धुंडने के लिए बहार गया पर बाबा अकेले हो गए हैं अब और कल बच्चो की तरह सितु को याद करो रहे थे, और करे भी क्यूँ ना। हम दोनों भाइयों के जाने के बाद वो अकेले सब काम संभाल लेता था और बाबा के सबसे करीब भी था, है, और रहेगा भी। पर हाँ कुछ भी हो कल एक बात पता चल गया की बाबा अन्दर से कितने नरम है॥ जैसे पेड़ से कोई टहनी टूट टी है तो दोनों पेड़ और टहनी दोनों को दर्द होता है वो मैंने कल महसूस किया। रिश्ते भी कितने अजीब होते हैं ...हम जिसे दर्द पहंचाते हैं उसके दर्द केलिए भी हम रोते है। वह रे भगवान् अजीब तेरे खेल और अजीब तेरे बनाये रीत ...

1 comment:

  1. Good day, sun shines!
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