किसी ने सच कहा है की आदमी को हमेशा नए काम मे अपने आप को चुनौती देना चाहिए। इससे मनुष्य को अपने सीमाओं से लड़ने और इसे बढाने मे मदद मिलता है। समय जब ठीक चलता रहता है और सब कुछ योजना के मुताबिक होता है आदमी तब सुस्त हो जाता है और उस समय को उपभोग करने मे व्यस्त हो जाता है। पर हाँ ये जान लेना जरुरी होता है की कब नयी चुनौती का दामन थामना है और कब इस से दूर रहना है। अब मेरा ही उदहारण ले लीजिये ; मे जो की दुनिया का सबसे सुस्त प्राणी हूँ मुझे अब लगता है की ज़िन्दगी जब पटरी पर अरे रही है अब मुझे ज़िन्दगी से दो दो हाथ कर लेना चाहिए। आगे भी ये कटा रहूँगा मगर सोच रहा हूँ कुछ नया अगर अब नहीं करूँगा तो हाथ पैर सुन हो जायेंगे और टाइम का भी क्या भरोसा... अब बस देखते रहिये मे क्या क्या करता हूँ ... घब्रयियी मत मे आपको तो बताता रहूँगा ही...
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