Friday, June 20, 2008

.माँ भैरबी.

उड़ीसा का एक छोटा सा गाँव जिसका नाम गोलंन्थरा है उस्से थोडी ही दूर मे माँ का मन्दिर है । मेरी माँ भैरबी का मन्दिर है यह। दुनिया मे सबसे ज्यादा सुकूंमुझे यहीं मिलता है। पूरा शांत परिवेश , चारो तरफ़ हरियाली और घंटा और सर्वदा चलने वाली कीर्तन मुझे जैसे मंत्रमुग्ध करती है। माँ का विराट मनिदर और मनिदिर मे सुचारू रूप से सज्जित सारा प्रांगन और हज़रू किसम के फूलों के मेहेक जैसे संपूर्ण मनुष्य जाती को प्राकृतिक सौदर्य का एक झलक लेनेको आवाहन करती है। भले मैं यहाँ मिलू दूर बैठा हूँ पर हर दिन हर पल माँ मेरे दिलो देमाग मे बस्ती है और मैं बस यही ख्वाहिश रखता हूँ के जब तक इस शरीर मैं जान हैं तब तक माँ ऐसे ही मेरे साथ रहे... माँ के महिमा के बारे मैं क्या कहूं । कहते हैं की बड़े दिनों पहले किसी कम के लिए लोगों ने माक ऐ मन्दिर मे मन्नत मांगी तो माँ ने सोने चाँदी के गहनों से ओंकी मुरादें पूरी कर दी। कम होने पर जब वो गहने माँ के मन्दिर मे रखे गए तो ओव सब गायब हो गए थे। पर किसी मंदबुद्धि आदमी ने वो गहने वापस नहीं किए तो माँ के ख़ुद ब्रिधा बनके ओसके घर गई और अपने गहने मांगे पर वो दुराचारी ने ओस गहने देने के वजाए अपमानित करके वहां से भगा दिया। तब से माँ की कृपादृष्टि ओस गाँव से हट गयी और धनधान्य से संपूर्ण गाँव चर्खर हो गया, लोग दाने दाने का मोहताज़ हो गए... फिर कुछ भक्त जब माँ की उपासना और पूजा पाठ किया तो माँ ने संतुष्ट होके अपने बछो को गले लगा लिया। आखिरकार माँ जो ठहरी .... अब और क्या कहूं मेरी माँ के बारे मैं वो तो अनंत है। सरे श्रीस्ती की अदि और अंत मैं ओसकी पवन चरणों मैं देखता हूँ। कमला , बागला ,अपराजीता, चंडी , चामुंडा ,धूमावती, मातंगिनी, भैरबी,दसविद्या स्वरुपीनी,दुर्गा,भगवती, उग्रतारा, त्रिपुरा सुंदरी ,छिन्नमस्ता, महाकाली सब मेरी मेरी माँ मे समाये हुए हैं और बस एक ही झलक मे मुझे सब का अक अपूर्व अलुकिक स्वर्गीय दृश्य का अबलोकन कराती है। इस अनुग्रह के लिए मैं सदैव ओसका आभारी रहूँगा...
वंदे शिन्हारुधा देवी खड्ग खर्पर धारिणी
दुर्गति नाशिनी दुर्गा आद्याशक्ति सनातनी
शरणागत दीनार्त परित्राण परयाने
सर्वस्यरती हरे देवी नारायणी नमोस्तुते...

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