मैं जल्दी घर पहंच गया था और खुस था की बड़े दिनों के बाद मैं इतनी जल्दी घर पहंच गया हूँ। पर मुझे क्या पता था के मैंने किस मुसीबत को गले लगा लिया है। उस दिन मैं दुर्भाग्य से अपना चाबी भूल गया था और जब मैं सीडियां चढ़ रहा था तभी अचानक मुझे ये याद आया। और भाग्य का खेल देखिये उस दूँ दोस्त भी कहीं बहार टूर पे गया था। दूसरे ही पल मैंने उसे फ़ोन पर बात करने की कोशिश की पर नाकाम हुआ। फिर क्या था अगले तीन घंटे मैं खुले छत के ऊपर तारें गिनने और अपने अंतर्दहन मैं व्यस्त रहा और ये अंतर्दहन वाला काम मैं अक्सर करता रहता हूँ। शायद इसी लिए मैं ख़ुद अपने आप अकेले रहने से दूर भागता हूँ। चाहे भले ही वो दूरदर्शन हो पर मैं अकेले खली तो कभी नहीं बैठ सकता न ही रह सकता। जाने कब से ये आदत मेरे अन्दर जागृत हुआ हैं मैं अकेलेपन और तन्हाई से डरने लगा हूँ। शायद मैं अपने आप से ही डरने लगा हूँ। उस दिन छत पे कैसे ३ घंटे बीत गया पता ही नहीं। जाने किन ख़यालात मुझमे समां जाती है और मैं उनके अनजाने तर पकड़ के मिलो चला जाता हूँ। उस दिन चाँद भी अपने पुरे जोरो पर था और बदलो के साथ आँख मिचोली खेलने ने व्यस्त था।मैंने उसे पूछा भी के रुक के दो पल कर इज़हार मुझे मेरे तकदीर का तो मुआं रूठ के बोला ज़िन्दगी है इसे बस जीए जा...
ये ब्लॉग उन लोगों को समर्पित है जो जीवन के प्रतिस्पर्धा मे आगे बढ़ने के लिए सदैव तत्पर रहते हैं । उन्हें पता है की उनके पास कोई जादुई छड़ी नहीं है और ना ही कोई ऐसा है जिसकी छत्रछाया मैं रहके या जिसके स्पर्श मात्र वे आस्मां की बुलंदियों को जीत लेंगे , परन्तु ये ख़ुद मे भरोसा करते है और अपने क्ष्य्मता और परिश्रम के बल पर सारी दुनिया जीतने की ताक़त रखते हैं। ये ब्लॉग उनके सपनो को और उनके हौसले को सलाम करता है और इश्वर से यही प्रार्थना करता है की सफलता हमेशा इनके कदम चूमे ...
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यह चेन्नई मैं मेरी पहली शर्दी है ... हलाकि मैं पिछले साल भी यहीं था मगर मैं शायद इस जलवायु मैं ठीक से अपने आप को ढाल नहीं पाया था. आ...
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After years I tried my hands in writing a letter in Odia and believe me it was difficult to write as the finger movement needed much to w...
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