Friday, September 19, 2008

डरता हूँ अंधेरे से मैं


डरता हूँ अंधेरे से मैं ये पता था उन्हें मगर
बिछड़ के मुझसे रौशनी मेरी ही मिटा दी
इतराता था मोहब्बत बन के जिसका कभी
केह्के बेवफा जालिम ने दिल ही तोड़ दिया

2 comments: