आज सुबह स्वाधीनता दिवस की सुबह दुर्दर्शन पर पृधान मंत्रीजी का रास्त्र को संबोधन सुन के मन बीच्लित हुआ। जहाँ हम अपनी सालाना budget का एक दशक भाग rakshya पृरणाली को सुदृढ़ बनने मे kharch करते हैं वहां आज पृधान mantree जी की भाषण से आतंकबाद के ख़िलाफ़ हमारी बेबशी साफ़ झलक दीया। जहाँ Abhinab ने swarna पदक जीत भरक के खेल इतिहास मैं एक नील का पत्थर रख दिया वहां पिछले महीनो हुए बिशोतों ने देश के सुनहरे सफर मे एक और काला दाग छोड़ दीआ। आज भारतीय मुक्केबाज अखिल ने दुनिया के सर्वस्रेस्था मुक्केबाज को प्रतियोगिता मे हरा के भारत को एक और पदक जीतने की उम्मीद बचाए रखा। जहाँ पुरा देश ६१ स्वाधीनता दिवस मनरहा था तब सीमा पर से pakistani bandhukoo ने हमारा इस्तकबाल कीया। पिछले २४ घंटे me सीमा पर से गोलीबारी की ये दूसरी घटना है। एक ख़बर ने तो गणमध्यमोम की नकारता को सामने लेन मे कोई कसार ही नहीं चोदी। अमर उजाला जो की एक राष्ट्रीय पत्रिका है उनके लेख्कूं ने भारत को ६२ वा स्वाधीनता दिवस मानाने पे जैसे मजबूर ही कर दीआ। जहाँ दर्ब्रिधि इतनी बढ़ गयी है वहां शायद ये समय को जल्द पीछे छोड़ के आगे बढ़ने को प्रयासरत हैं। ये साबित करता हैं की अखबार मे छापी खबर कितनी संजीदा हो सकती हैं। मैं उन संपादकों से अनुरोध करूँगा के वो गंमध्यमोम की महत्व समझे और प्रकाश करने से पहले Proof reading pe jyada dhyan dein.
jai hind
- jr
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