यूँ इस कदर हमसे नज़रे न मिलाया करो
अक्सर ऐसी माहोल मे प्यार पनपता है
हमें तो सहारा है चंद तिनको का और हैं जिन्दा बस दो पल
खामोखां यूँ ही हमपे ही ये बिजली यूँ ना गिराया न करो
हमें तो शक है अपने किस्मत और रब पे
जाने क्यों चैन-ओ-सुकून को मेरे उसे से ही बैर है
अब समझा के तेरे हुस्न का जादू कुछ इस कदर है के
क्या इंसान खुदा भी तेरा दीवाना है ....
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