Wednesday, December 10, 2008

ख़याल उनके रोज़ मार जाती हैं

ख्वाब बनके वो आंखों मैं रहते हैं ,यादें बनके वो दिलो मैं बस जाती हैं
जज़्बात जो उनके यूँ कैद कर जाते पर ख़याल उनके रोज़ मार जाती हैं

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