हिज्र मौसम मे ये बारिश का बरसना कैसा
एक सेहर से समंदर का गुज़रना कैसा
आएमेरे दिल न परेशां हो, तनहा हो कर
वो तेरे साथ चला कब था, बिचारना कैसा ?
लोग कहते है गुलशन की तबाही देखो
मैं तो बीरन सा जंगल था ,उजारना कैसा ?
देखने मे तो कोई दर्द नहीं,दुःख भी नहीं
फिर ये आँखों मे यूँ अस्कून का उभारना कैसा
बेवफा कहने का जूरत भी न करना उसको
उसने इकरार किया कब था,मुकरना कैसा ???
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