Tuesday, July 01, 2008

ईमान को देखा

कल सपने मे ईमान को देखा। वही कलि सारी पहनी थी जो वो पिछले साल रक्ष्या बंधन पे पहनी थी। अछी दीख रही थी। पर मुझसे जैसे कुछ सवाल पूछ रही थी। मैं चुप था सुन रहा था उसको। उस्से बात न करने का कारन पुच रही थी मुझसे। कुछ दिन पहले जब ओसका मेसेज आया था वो अपनी दीदी की नौकरी के बारे मे पूछ रही थी। तब मैं चेन्नई मे था और उसे बोला था के जल्द ही कुछ करूँगा। दिल्ली वापस आने के बाद एक दिन उसका फ़ोन आया और उसने अपनी दीदी से मेरी बात करवाई । मैंने भी ओस कहा के कुछ टाइम लगेगा पर मिल जायेगी नौकरी। मैंने बात भी करी जहाँ जहाँ मेरी पहंच है । पर कल जहाँ ओपनिंग थी आज वहाँ कुछ भी नहीं है । मैं उसे क्या बोलूँगा के अभी जॉब नहीं है। फिर अभी कुछ दिन पहले उसका मेसेज आया के लगता है मेरे दीदी के लिए दिल्ली मैं कोई नौकरी ही नहीं है । अब उसे मैं क्या बातों के मैंने कोशिश तो किया पर नहीं हो पाया। उसे लगेगा के मैं जान बुझ कर उसे गोली दे रहा हूँ। सुबह का समय था और वो रोने भी लगी। मुझसे उसके आंसू देखे नहीं गए। मैं बस तड़प उठा। नींद खुली तो ५.३० बज रहे थे। दिन भर अब उसका ख्याल रहेगा दीमाग मे... सोच रहा हूँ उसे बात कर लूँ पर मेरी बात भी तो नहीं सुनती वो ...

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