कल बड़े दिनों बाद मैं अपनी किताबें खोल कर पढ़ाई की। मानव संसाधन की किताबों की महत्त्व समझ मे आया । कुछ पुराने दिन जैसे मेरे मनोप्रंगन मे उत्पात मचने लगे । मैं भी कुछ पल के लिए उनमे डूब गया और किताबों मैं ही खो गया। कल ३६० परफॉर्मेंस अप्प्रैसल के बारे मैं एक अर्तिक्ल पढ़ा और अछा लगा। पहले से ही मैं प्रतिदिन कुछ पढने का अभ्यास बनने की कोशिश कर रहा था । टेलिविज़न के न रहते आज ये मज़बूरी से एक आदत सी बन रही है। और मुझे अभी टेलिविज़न की पार्स्वप्रतिक्रिया की भायाबहता का ज्ञान हुआ। कुछ दिनों से ये पढ़ना अछा लग रहा है । आगे भीमं इसे चालू रखना चाहूँगा। आज एक किताब भी लेके जाऊंगा,और पढूंगा भी ...
Wednesday, July 09, 2008
९-जुलाई-२००८
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