Monday, July 07, 2008

इनपे भी तेरा हुकूमत चलता है ...


ए खुदा मेरी तड़प को यूँ सुकून से ना देख

और मेरे जेहेन को कोई मुक्कमल सिकष्ट ही दिला

मेरे आंसू के समंदर को क्यों कोई किनारा नसीब नहीं होता

आज इनपे भी शायद तेरा ही हुकूमत चलता है ...

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