Thursday, March 26, 2009

राह-ऐ-ज़िन्दगी

एक कदम ग़लत रखा था राह-ऐ-ज़िन्दगी मैं,
ता-उम्र मंजिलें मुझे धुन्दती और रोती रही...

No comments:

Post a Comment