Wednesday, March 25, 2009

दोस्ती

कहीं हो सुरुवात इस ज़िन्दगी की और हो राह हमशा दोस्ती की तो क्या बात है
गुमनाम ज़िन्दगी मैं वैसे तो बहुत लोग है पर एक दोस्त का हो तो फिर क्या बात है

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