Friday, March 20, 2009

सदियों से लंबे रातें और यादों का केहर ...


सदियों से लंबे रातें और ये यादों का केहर, अब न सहा जाए

आज भी है खयालो मैं उनके ही लतीफें और फरमान

और है कुछ बातें भी वही और यादें भी उनके,

बदले खुदाया कुछ तो मेरा रब मुझे कबूल ही ना करे

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