Monday, November 24, 2008

कल एक रात जस्न का था

कल एक रात जस्न का था
अजीज दिल का कोई सेहरे को तैयार था
बड़े दिनों के बाद वो त्यौहार आया था
इंतज़ार जिसको उसे और उसके अरमान का था।
थाम लिया हाथ उसका किसी गैरत मंद ने ,
किया आबाद उसे और ख़ुद को भी
समेटे दुआएं दामन मैं अपने
जहाँ से छुपाया उसे दामन मैं अपने ।
हो आबाद और रहे मेह्फ़ुज़ wo हर बला से
निकली है दुआ उसके नाम का
अब हो दुनिया कदमो मैं उसके ...

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