कल एक रात जस्न का था
अजीज दिल का कोई सेहरे को तैयार था
बड़े दिनों के बाद वो त्यौहार आया था
इंतज़ार जिसको उसे और उसके अरमान का था।
थाम लिया हाथ उसका किसी गैरत मंद ने ,
किया आबाद उसे और ख़ुद को भी
समेटे दुआएं दामन मैं अपने
जहाँ से छुपाया उसे दामन मैं अपने ।
हो आबाद और रहे मेह्फ़ुज़ wo हर बला से
निकली है दुआ उसके नाम का
अब हो दुनिया कदमो मैं उसके ...
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