Wednesday, November 12, 2008

खयालो मे तेरे मैं कुछ इस कदर खोया हूँ


खयालो मे तेरे मैं कुछ इस कदर खोया हूँ
ज़िन्दगी को जैसे करीब से जीया हूँ
था तो दो लम्हों का ये मेरी जिन्दगी तेरे बगैर
साथ मे तेरे, दो पल भी मैं सदियों सा जिया हूँ ।
है आज भी महक तेरे दामन का जेहेन मे मेरे
जैसे जिस्म मे तेरे बन के रूह मैं जिया हूँ ।
ना हो तुझे मेरे गम का ख़बर तभी चुपके से बहूत रोया हूँ
कैसे छुपाउन मैं के क्या पाया हूँ और क्या खोया हूँ ।

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