Monday, November 17, 2008

१७ नवम्बर २००८

आज माँ की बड़ी याद आ रही है । कल फ़ोन किया था उन्होंने । बहुत साडी बातें भी हुई पर दिल नहीं भरा मेरा। बाबा से भी बात हुई। उनको अभी छोटे भाई की चिंता है। और क्यों न हो साड़ी जिम्मेदारियां जो निभाई है अब तक आगे का क्यों ना सोचे वो। छोटा खुद भी परेशान हैं। उसे एक जॉब मिल जाए वो जैसा चाहता है तो खुस हो जाएगा वो भी। कल माँ भी बोल रही थी के उनका भी मन नहीं लग रहा । और वो आज कल किसी और काम मैं ज्यादा रूचि लेने लगी हैं और वो हैं लड़की देखना । आज कल इसी सिलसिले मैं वो परेशान भी रेहती हैं। मैं समझा के थक गया पर मानती ही नहीं है । श्याम को फिर बात करूँगा ...

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