था कोई बैर मुझसे मेरे रब को शायद
जो यूँ उन्हें मुझसे मिला दिया,
जी लेता सुकून से चार दिन मगर
चाहत ने उनके मुझको मिटा दिया।
मेरे रब को भी मुझसे है शिकायत
के मैं उससे दूर क्यों हो गया
पागल ये दिल और मैं लाचार
जैसे मोहब्बत को ही मेरा खुदा बना लिया...
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