Saturday, February 28, 2009

Saturday...

बड़े दिनों के बाद मैं आज बीमार हुआ हूँ तो पता चल रहा है की जिस्मानी दर्द के केहर क्या होता है। वैसे तो एक बीमारी ने हमेशा मुझे गले लगाये रखा है और अपने साथ ही लेके जाऊंगा पर उससे अलग आज बीमार हुआ हूँ तो कुछ अजीब तो नहीं पर दर्द हो रहा हैवैसे तो डॉक्टर से अलेर्जी है मगर सोच रहा हूँ कल उसे भी झेल लेता हूँ । सोच रहा था के कल सन्डे है और कहीं चला जाऊँ पर इस हाल मे लगता है टेलिविज़न से ही नैन मटक्का करना पड़ेगा दिन भर। आज कल बड़े बुरे ख़बरों ने मुझे घेर रखा है। दो दिन पहले रवि का भाई उस पार चला गया तो आज एक दोस्त का बाप और एक और दोस्त का ५ दिन का बेटा उस पार चला गया। वैसे तो मैं मानसिक रूप से बहुत शक्तिशाली हूँ मगर कुछ ऐसी खबरें मुझे बिचलित कर जाती हैं। आदमी कितना बड़ा क्यों ना हो और ज़िन्दगी पे कितना भी प्रभावशाली क्यों ना हो मौत पे कहाँ कभी किसीका बस चला है। अब कुछ दिन पहले की बात ले लो मैं बड़ा दुखी था क्यों की मुझे किसी ने कहा था की ज़िन्दगी मैं मैंने सबसे अनमोल चीज़ मैं बहुत ज़ल्दी खोने वाला हूँ और मैं भी उस गम मैं उदास था। फिर कहीं मेरे दिल के किसी कोने से कोई धीरे से बोला बेटा ज़िन्दगी को कौन समझ पाया है और कौन जीता है। तू भी इसे समझने की कोशिश मत कर गीता का सार याद कर और बस जीता रेह। और देखो हम जी रहे हैं ...

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