Tuesday, June 30, 2009

Most easiest DISH.

कल रात को ऑफिस से घर पहंचते पहंचते दोस्त का फ़ोन आया और बोला के मिलने आजा । मौसम भी अछा था तो मैं उसके वहां चला गया । देर तक बैठा रहा और बातें चलती रही। रात सादे आठ बजे मैं वहां से निकला और घर पहंचते पहंचते सादे नौ से ज्यादा हो चुका था। दीमाग का दही और कपड़ो का गर्मी के मारे बुरा हाल हो चुका था। खाना बनाने की मूड ना होते भी हमने खाना बनाने की थान ली ( क्यों के होटल सारेमैं पीछे छोड़ आया था). आज मैं आप लोगों को मेरी सबसे प्रिया व्यंजन बनने की बिधि बताऊंगा। इससे पहले आपको सारे चीज़ों को इकट्ठा कर लीजिये।

आलू भजा

  1. दो आलू ( २५० ग्राम)
  2. थोड़ा खाने का तेल
  3. नमक
  4. मिर्च पाउडर
  5. हल्दी पाउडर

बड़े बड़े दो आलू ले लें। उनको लंबा लंबा बारीकी से काटे और पानी मैं भिगो दें।

सबसे पहले आलू अपने मर्जी से जैसे भी काटना हो वैसे काट के पानी मैं भिगो दें। एक बड़ा प्याज भी काट लीजिये। अब कडाई को बर्नर पे रखिये और गैस चालू कीजिये। अब जब कदारी थोड़ा गर्म हो जाए तब उसमे थोड़ा तेल डालिए और गरम होने पर थोड़ा जीरा और सरसों डालिए। अब इंतज़ार कीजिये सरसों उबलने का फिर उसमे कटी हुई प्याज डाक दीजिये और उससे हिलाते रहिये। प्याज कडाई मैं लाल होने तक उसे फ्री कीजिये। उसके बाद उसमें कटा हुआ आलू दाल दीजिये। अब स्वाद अनुसार हल्दी पाउडर, मिर्च पाउडर और नमक दल के अछी तरह से मिक्स कीजिये। अब एक ढक्कन से कडाई को धक् दीजिये। ठीक ३ मिनट बाद उसे फिर से अची तराह से मिक्स करो फिर आलू पकने तक इंतज़ार करो। फिट इसे गरम गरम परोसे...

भाई देखो हम कोई शेफ या खानदानी बावर्ची तो है नहीं और ना हमारी शादी भी हुई है । अब अछा लगे बुरा लगे हमें भूक को तो जड़ से समाप्त करना है ...इसलिए आँख कान बंद करके चवल या रोती के साथ खाने का मज़ा लीजिये और हमें माफ़ कीजिये। अल्लाह मालिक ...

Saturday, June 27, 2009

दो लव्ज़ ही काफी है

ना तलाश थी कभी किसी हूर जन्नत की मुझे
प्यारे दो लव्ज़ ही काफी है मर मिटने के लिए...

Friday, June 26, 2009

मशहूर पॉप गायक मिचेल जैक्सन नहीं रहे


"King of POP Music" मिचेल जैक्सन अब नहीं रहे। आज उन्हें जब हॉस्पिटल मैं भरती कराया गया अतब उनको साँस लेने मैं और छाती मैं दर्द का शिकायत थी। पर डॉक्टर लोग पहले कुछ कर पाते इसे पहले उन्होंने अपनी आखरी सांसे भरी। उनके जाने से पूरे पॉप जगत मैं शोक का माहोल है। एल्विस प्रेस्ली या मडोंनाहो या और किसी भी हस्ती के तुलना मैं "जैक्सन" कहीं ऊपर थे। लगभग २० साल तक उन्होंने अपनी जादुई आवाज और स्टाइल और अंदाज़ ऐ पूरे विश्व को अपने गानों और नृत्य से नचाया। हमेशा वो अपनी गायकी और नृत्य शैली के लिए चर्चित रहे और सबके दिलो मैं अपनी एक अलग जगह बनाया था। उनके जाने से हमने सितारों के आस्मां मैं एक हमेशा जगमगाता सितारा हमेशा के लिए खो दिया है। इश्वर से प्रार्थना है की उनकी आत्मा को शान्ति दें।

Thursday, June 25, 2009


था कोई बैर मुझसे मेरे रब को शायद
जो यूँ उन्हें मुझसे मिला दिया,
जी लेता सुकून से चार दिन मगर
चाहत ने उनके मुझको मिटा दिया।
मेरे रब को भी मुझसे है शिकायत
के मैं उससे दूर क्यों हो गया
पागल ये दिल और मैं लाचार
जैसे मोहब्बत को ही मेरा खुदा बना लिया...

रौशनी और अँधेरा


गम के अंधेरे मे दिल का ये दिया

रौशनी भी तुझसे और अँधेरा भी ...

Wednesday, June 24, 2009

जय जगन्नाथ स्वामी नयन पथगामी भाव तू मे !!


आज उड़िया बर्ष के आसाढ़ मॉस शुक्ल पक्ष्य द्वितीया आज के दिन जगत के नाथ जगन्नाथ महाप्रभु जाती भेद धर्म और संस्कृतियों से ऊपर जाके अपने श्रीमंदिर के रत्न सिंहासन से उतरके भक्तो के लिए बहार आते हैं और अपने भक्तों को आप्यायीत करते हैं। ये संस्कृति जगन्नाथ संस्कृति है जहाँ कोई बड़ा नहीं है ना कोई छोटा है ना कोई रजा है और ना कोई रंक है। यहाँ रजा भी रथ के झाडू करते हैं और रंक भी रजा के साथ भगवन को आलिंगन करता है। हजारो बरसो से ये यात्रा रथ यात्रा के नाम से पूरे बिश्व मे प्रसिद्ध है जब महाप्रभु जगन्नाथ अपने बड़े बही बलभद्र और छोटी बेहेन सुभद्रा के साथ सरे नियमो से परे अपने भक्तो से मिलने श्रीमंदिर से बाहर आते हैं। भगवान् क्या दृश्य मे तो भक्तो के बस मे हूँ वो जहाँ जिस रूप मे मुझे बुलाएँगे मे उनके भक्ति मे लीं होके वहां उस रूप मे उन्हें मिल जाता हूँ। आज के दिन जगन्नाथ महाप्रभु बड़ा दांद मे लाखों भक्तो के बीच नंदीघोष रथ मे पतीतपावन झंडा लहराते हुए अपने मौसी के मिलने जाते हैं ।



continued...

Friday, June 19, 2009

Fariyad.

aaj humne bhi gamon ko chupana sikh liya,
bhari mahfil main muskrana sikh liya,
hum to darte the gamon ka jahar peene se
par ab to gamon ko jaam samajkr peena sikh liya,
pehle to akele se hote the bheed main
par ab to tanhai main bhi rehna sikh liya,
log muskra kar de jaate the dokha kabhi
par ab to humne aankhon ko padhna sikh liya,
koi sunta hi na tha hamare dil ki aawaz ko
to humne us aawaz ko sayari main badlna sikh liya,
Khud ko bhoolne ki koshish mein,
Jab dil ye zid pe aa gaya,
Main aankh moond ke baith gaya,
par apna khayaal phir chaa gaya…
Ye dhadkan kahin ruk jaayae naa,
Meri nabz thehr naa jaaye kahin,
kismat ne Waqt kiya mera lamha lamha,
Magar maut ko aasaan bana gaya…
Meri har daleel ko kiya ansuni,
Meri fariyaad bhi to suni nahin,
Main Hairaan hu, haa Kuch Pareshaan hu,
Aisa Faislaa waqt mujhe suna gaya…
Mujhe chaand ki kabhi talab na thi,
Mujhe suraj ki bhi fikar nahi,
Bas aankh kholna hi chahatae thae ham,
Magar waqt roshni hi bujha gaya…
-Anonymous

Thursday, June 18, 2009

Ducks Quack, Eagles Soar...

No one can make you serve customers well
That's because great service is a choice।

Harvey Mackay, tells a wonderful story about a cab driver that proved this point.He was waiting in line for a ride at the airport. When a cab pulled up, the first thing Harvey noticed was that the taxi was polished to a bright shine. Smartly dressed in a white shirt, black tie, and freshly pressed black slacks, the cab driver jumped out and rounded the car to open the back passenger door for Harvey .He handed my friend a laminated card and said: 'I'm Wally, your driver. While I'm loading your bags in the trunk I'd like you to read my mission statement.'Taken aback, Harvey read the card.It said: Wally's Mission Statement:To get my customers to their destination in the quickest, safest and cheapest way possible in a friendly environment.This blew Harvey away. Especially when he noticed that the inside of the cab matched the outside. Spotlessly clean!As he slid behind the wheel, Wally said, 'Would you like a cup of coffee? I have a thermos of regular and one of decaf.'My friend said jokingly, 'No, I'd prefer a soft drink.'Wally smiled and said, 'No problem. I have a cooler up front with regular and Diet Coke, water and orange juice.'Almost stuttering, Harvey said, 'I'll take a Diet Coke.' Handing him his drink, Wally said, 'If you'd like something to read, I have The Wall Street Journal, Time, Sports Illustrated and USA Today.'As they were pulling away, Wally handed my friend another laminated card, 'These are the stations I get and the music they play, if you'd like to listen to the radio.'And as if that weren't enough, Wally told Harvey that he had the air conditioning on and asked if the temperature was comfortable for him.Then he advised Harvey of the best route to his destination for that time of day. He also let him know that he'd be happy to chat and tell him about some of the sights or, if Harvey preferred, to leave him with his own thoughts.'Tell me, Wally,' my amazed friend asked the driver, 'have you always served customers like this?'Wally smiled into the rear view mirror. 'No, not always. In fact, it's only been in the last two years. My first five years driving, I spent most of my time complaining like all the rest of the cabbies do. Then I heard the personal growth guru, Wayne Dyer, on the radio one day.He had just written a book called You'll See It When You Believe It ...Dyer said that if you get up in the morning expecting to have a bad day, you'll rarely disappoint yourself. He said, 'Stop complaining! Differentiate yourself from your competition. Don't be a duck. Be an eagle. Ducks quack and complain. Eagles soar above the crowd.'''That hit me right between the eyes,' said Wally.

'Dyer was really talking about me. I was always quacking and complaining, so I decided to change my attitude and become an eagle. I looked around at the other cabs and their drivers. The cabs were dirty, the drivers were unfriendly, and the customers were unhappy. So I decided to make some changes. I put in a few at a time. When my customers responded well, I did more.''I take it that has paid off for you,' Harvey said.'It sure has,' Wally replied. 'My first year as an eagle, I doubled my income from the previous year. This year I'll probably quadruple it.You were lucky to get me today. I don't sit at cabstands anymore. My customers call me for appointments on my cell phone or leave a message on my answering machine. If I can't pick them up myself, I get a reliable cabbie friend to do it and I take a piece of the action.'Wally was phenomenal. He was running a limo service out of a Yellow Cab. I've probably told that story to more than fifty cab drivers over the years, and only two took the idea and ran with it. Whenever I go to their cities, I give them a call. The rest of the drivers quacked like ducks and told me all the reasons they couldn't do any of what I was suggesting.Wally the Cab Driver made a different choice. He decided to stop quacking like ducks and start soaring like eagles.
How about us?
Smile, and the whole world smiles with you...
The ball is in our hands!
Ducks Quack, Eagles Soar
Have a blessed day

Friday, June 12, 2009

जिंदगी से पंगा

मैंने कभी अपनेआप को प्रतिद्वंदी के रूप मैं खड़ा नहीं पाया है। अभी जब जिंदगी मुझसे दो दो हाथ कर रही है तब मैं कमर कस रहा हूँ। भले ही मैंने अपनी जिंदगी अपने शर्तो पर जिया है पर मुझे अभी तक जिंदगी मैं कुछ रूचि नहीं है। सफलता मुझ से अब भी कोशो दूर है और मैं उसे किसी भी हाल मैं हथिआय्ने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहता। भले मुझे जिंदगी ने खूब धोके दिए हो पर मैंने हमेशा जिंदगी को आडे हाथ लिया है। अपनी गलतियों से सीखा है और मेरे आस पास के लोगों को भी इससे आगाह किया है। अब जब जिंदगी थोडी सुस्त पड़ रही है मैंने फिर जिंदगी से पंगा लेने की कोशिश कर रहा हूँ। मेरे सर पे अब कुछ करने का जूनून सवार है। मुझे पता है अगर में अपने आई पे आ गया तो किसी मंजिल को गुलाम बनाना मेरे लिए मुश्किल बात नहीं है मगर तलाश है तो बस एक सही दिशा की है और एक मार्गदर्शक की कमी मुझे सता रही है। वैसे तो में हमशा सुभ्चिन्तकों से घिरा हुआ हूँ मगर इस नस्वर शरीर में छुपा शैतान की पहचान मुश्किल है । पर में द्रिध्प्रतिग्य हूँ और मेरा लक्ष्य अब तय दीख रहा है । मुझमें अब उमर के साथ साथ सफलता की भूख भी बढ़ रही है और में उसे हासिल करने के लिए बेताब हूँ। इश्वर करे के मुझे एक मार्गदर्शक और सफला अतिशीघ्र प्राप्त हो ।