ऐसे ही बैठा था ट्रेन की एक भीड़ भरी बोगी में आज . क्यों की सबको काम पे जाना होता है इसलिए शायद ट्रेन मैं भीड़ भी थी. और ऐसी भीड़ मैं जहाँ लोगों को ठीक से खड़े होने की जगह नहीं मिलती वहां मेरा दिलो-ओ-दिमाग मैं जाने कहाँ से उपरवाले की रचना की तारीफ करने का मन किया. मन यह सोच रहा था भगवन ने कितनी बड़ी मात्रा में परिकल्पना किया होगा यह दुनिया बनाने ने से पहले. पहले उसने क्या बनाया होगा; ये पृथ्वी या ये अनंत आकाश और ये न ख़तम होने वालि समंदर को बनाने मैं कितना वक़्त लगा होगा. फिर इतना सारा पानी कहाँ से लाया गया होगा. फिर सोचो ये विशाल जंगले और इतने सारे इंसान ...सोचते सोचे मैं कब सपने में चला गया मुझे पता नहीं. और मेरे सामने बड़े सारे सवाल उठ खड़े हो गए और मैं सोचने लगा ये ब्रह्माण्ड और इसकी कथा निराली है. सबसे बड़ी अचम्भा मुझे तब हुआ जब मैंने ये सोचा के इतने सारे अच्छी चीज़ बनाने ने के बाद भगवान् ने इंसान क्यों बनाई ? मैं बस सोचता गया और सोचता ही रहा .पर न किसी सवाल का मुझे जवाब मिला और न इन बढ़नी कौतुहल का कोई सीमा मिली. इस से पहले के मैं उपरवाले की बनाई हुई अजूबे के सोच मैं खो के अपने आप को भूल जाता मैंने अपने दिल को समझ लिया और वापस इसी कौतुहल के साथ मेरे दुनिया मैं वापस आ गया और सोच सोच के हसने लगा....
" वाह रे उपरवाले , वाह रे तेरी दुनिया" ....
Accha socha hai ....
ReplyDeleteसच जब भी दुनिया के बारे में सोच आती है तो लगता है की बनाने वाले ने भी क्या क्या बनाया है ..
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ReplyDeleteदुनिया बनने वाले का कोई जबाब नहीं ......
ReplyDeleteIS TARAH KE SAWAAL hamesha jahan main aate hain aur soch main tabdil ho jaaten hai .bahut hi saarthak lekh.badhaai aapko.
ReplyDeletehap/ ब्लोगर्स मीट वीकली (३) में सभी ब्लोगर्स को एक ही मंच पर जोड़ने का प्रयास किया गया है / आप आइये और अपने विचारों से हमें अवगत कराइये/ हमारी कामना है कि आप हिंदी की सेवा यूं ही करते रहें। सोमवार ०८/०८/११ कोब्लॉगर्स मीट वीकली (3) Happy Friendship Day में आप आमंत्रित हैं /
py froendship day.