कुछ वक़्त बीत गया था मेरे खयालो मे खोये हुए तभी राजेश ने मुझे पीछे से आवाज़ दी और सुनसान उस विचार कक्ष्या मे उसक आवाज़ जैसे मेरे कानो में गूँज रहे थे। में हड़बड़ी मे उठ खड़ा हुआ और आपने मूल स्वरुप मे आ गया। अक्सर मेरे साथ ऐसा होता है की में एक जगह पे होते हुए भी कहीं खयालो मे चला जाता हूँ और मुझ खुद भी स्थान और पात्र का समझ ही नहीं रहता। और हमेशा ऐसी परिस्तिती में में किसी एक वाकी के साथ अपने आप को जोड़ लेता हूँ और सपनो में कुछ दूर चला जाता हूँ। और आज भी जब में खयालो से वापस आया तो MUझे लगा के में जैसे एक सपने से बहार आया हूँ और वो सरे ख्याल मेरे आँखों के सामने एक दुर्लभ प्रतिचाबी की तरह दौड़ गई। में समझ नहीं पाया के ये क्या हो रहा था पर मुझे अच लगा। आज इस सन्दर्भ में मेरे खयालो में रिश्तों मे उलझ गया था। आज ही सुबह जब में भगबत गीता का पाठ किया तो उन पंक्तिवों में संजय को भगवन श्री कृष्ण की अति दुर्लभ विश्वरूप का वर्णन करते हुए पाया जिसमे संजय ध्रितराष्ट्र को समझा रहे थे की सहस्र कलेबर में प्रभु सहस्र रूप में देव से दानद तक, काल से प्राणी तक का बयां कर रहे थे। और ये बरनन सुन के अर्जुन का मोह भंग होता है। पर में क्यूँ आज रिश्तों में उलझ गया , शायद ये मेरे इंसानी स्वरुप का मूलाधार है। पर में कुछ परेशान भी हो गया था। पर जैसे ही सपने से बहार दुनिया कुछ अलग होता है और मेरा तो ये सिर्फ कल्पना ही थी - तो में भी स्तिताप्रग्य हुआ और काम में आगे बढ़ गया...
ये ब्लॉग उन लोगों को समर्पित है जो जीवन के प्रतिस्पर्धा मे आगे बढ़ने के लिए सदैव तत्पर रहते हैं । उन्हें पता है की उनके पास कोई जादुई छड़ी नहीं है और ना ही कोई ऐसा है जिसकी छत्रछाया मैं रहके या जिसके स्पर्श मात्र वे आस्मां की बुलंदियों को जीत लेंगे , परन्तु ये ख़ुद मे भरोसा करते है और अपने क्ष्य्मता और परिश्रम के बल पर सारी दुनिया जीतने की ताक़त रखते हैं। ये ब्लॉग उनके सपनो को और उनके हौसले को सलाम करता है और इश्वर से यही प्रार्थना करता है की सफलता हमेशा इनके कदम चूमे ...
Monday, March 21, 2011
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
-
Customer Care Numbers Banks SBI Bank - 1800 11 2211 (toll-free), 1800 425 3800 (toll-free), 080-26599990 ICICI Ba...
-
यह चेन्नई मैं मेरी पहली शर्दी है ... हलाकि मैं पिछले साल भी यहीं था मगर मैं शायद इस जलवायु मैं ठीक से अपने आप को ढाल नहीं पाया था. आ...
-
After years I tried my hands in writing a letter in Odia and believe me it was difficult to write as the finger movement needed much to w...
No comments:
Post a Comment