Saturday, May 30, 2009

सपनो से भरे मेरी रातें...

एक अजीब और बुरे सपने ने मुझे उठा दिया। कूलर की ठंडी हवा ने जैसे मेरा गला दबाने की कसम खा राखी थी । मैंने तुंरत पानी की दो घूँट हलक मे डाली और खुदको अकेले महफूज़ पा कर आश्वस्त हुआ। पर जाने क्यों मुझे कुछ दिनों से ऐसे सपने आ रहे हैं । क्या कुछ बुरा होनेवाला है और ये सब उसकी पुर्बाभास है । मैं तो सच मैं डरा हुआ हूँ। अभी तो कुछ भी ठीक नहीं चल रहा और अगर ये कुछ गड़बड़ होगा तो ठीक नहीं होगा । वहाँ माँ ने भी कुछ ऐसा ही सपना देखा तो सुबह फ़ोन किया था । क्या है ये क्यों ऐसा हो रहा है । मैं तो सच मैं दारा हुआ हूँ। बस एक गुजारिश है भागवान से के कुछ बुरा न हो किसी के साथ।

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