Today the Rail budget for FY 2011-12 has been announced bye the Railway Minister Mamata Banerjee and as expected the basket is full of offerings for her state WB and the rest of the country just dried up as it was expected. And as the assembly polls are next in WB Mamta dint leave any stone unturned to lure her state. But my question here, is it ethical to deposit the revenue in one state where the other states too contribute in the same fashion to the central government ?And is it not the ministers duty to delegate the resources equally among the less developed states & areas of high potential ?Rather than giving much to the local state. This has become a trademark for every Railway minster to give special attention to the home state. The same went for Lalu & the present Minister Mamta...Fifty-six new express trains, 9 Duronto and 3 new shatabdis, too, were announced so as to meet with growing demands.Double Decker trains a reality in India & a Super Ac class has been introduced but I am much disappointed by the fact that the Northern states like Punjad, J&k, Haryana,Delhi are dried up in the Budget. It may be a Election oriented budget as Tamil Nadu,West Bengal are much benefited in the Budget.Anyway there is no hike in the passenger fare is a welcome status but it could be an election move as Mamta who is aiming to be the next CM in West bengal could not bear the fare hike in the much inflated national economy. After all I am here to condemn the regional importacne & the tradition run by the ministers and in a democratic country like ours we must look out for no disparity...
Friday, February 25, 2011
Thursday, February 24, 2011
प्रधान मंत्री की बेबसी और सरकार...
बड़े दिनों से कुछ बातें दिमाग मे अस्थिरता पैदा कर रही thi और शाम को जब भी में tv के सामने समाचार से रूबरू होता था ये बातें बड़ा परेशान करती थी ...
- दरदाम ब्रिधि पे प्रधान मंत्री - गरीबों के आमदनी बदना इसका मूल कारण है ।
- प्याज के बढती दाम पे कृषि मंत्री - पैदावार कम है और खपत ज्यादा है
- विदेशो मे जमा काला धन पे वित्तमंत्री - एक aakalan के आधार par उपाय बना रहे हैं ki टैक्स चुका कर बाकि का धन रख सकते हैं
- लाखों करोडो के घपले को काबू करने में असहाय प्रधानमन्त्री - गठ्वंधन सरकार ki कई मजबूरियां होती है
- महंगाई को काबू करने मे बिफल प्रधान मंत्री - में मजबूर हूँ।
आज जनता को ऐसी प्रधानमन्त्री ही नहीं चाहिए जो हर बात पे अपनी बिबसता और बिफलता गिनवाए ... और वो जो अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर हो और जिसकी ३० से ज्यादा सालो का अनुभव हो॥ उस से तो बिलकुल नहीं ... धन्य हो हमारी सरकार और उसके ये मंत्री,प्रधान मंत्री और घपलेबाजों का ये मंत्री मंडल...
Saturday, February 19, 2011
Happiness ; can anyone define it
Happiness ; can anyone define it. I thought a lot and then as usual googled it to get the following result" happiness is a state of mind or feeling characterised by contentment,love,satisfaction, pleasure or joy". for sure nobody wants to have this definition of Happiness. खैर मुझे क्या , में तो वैसे भी खुस रहता हूँ बिना वजह। मुझे बस दो आलू के पराठें मिल जाये तो में खुस तो किसीको छप्पन भोग मिले तो भी वो दुखी। मुझ जैसे मेंढक पे अच्छे खाने की बारिश करो तो में खुस तो राकेश जैसे कुछ मेंढकों पे Blackberry की बारिश करो तो वो खुस। खुसिओ के लिए हर एक के पास अपना वजह होता है और होना भी चाहिए। आप सोच रहे होंगे ज्यादा हो गया भाषण...तो माफ़ी चाहूँगा। दर असल हुआ यूँ के कुछ दिनों से में एक senior level का बन्दा ढूंड रहा था और वो मुझे मिल नहीं रहा था पर kal पूरे din के मेहनत के बाद मुझे वो profile मिला जो मेनेजर को पसंद आया और शाम होते ही जब मैंने उस मेनेजर का phone receive किया तो एक चमक सी मरे चेहरे पे दिखी। जैसे आंधी मे बिजली चलती है वैसे ही मेरे लबों पे एक मुस्कान कुछ मिली सेकंड के लिए दौड़ गयी। ये एक अजीब सी खुसी थी और क्यों की ये दिन भर की खीच खीच के बाद मिली थी तो उसकी एहमियत कुछ बढ़ गयी थी। बस मुझे और क्या चाहिए था ..चुप अपना कंप्यूटर बंद किया और ऑफिस से निकल गया। अपने ही धुन में एक पसंदीदा धुन गुनगुनाते हुए में स्टेशन की तरफ चल पड़ा।
शायद ये वो चीज़ होती है जो आदमी का मनोबल और आत्मबिस्वास बढ़ता है। और ये भी सच है की ऐसी ही कुछ खुसी ही आदमी मे कुछ और भूक जगाती है और इस ललक में वो आजीवन सफलता का पीछा करता है और करता रहेगा।
पुकारता चला हूँ में ... गली गली डगर डगर
Tuesday, February 08, 2011
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After years I tried my hands in writing a letter in Odia and believe me it was difficult to write as the finger movement needed much to w...