Friday, July 04, 2008

मौत बुलादो

ज़िन्दगी तो बेवफा माश्हूक की तराह है
अति भी है और जाती भी ...
ठहर जाये ऐसी कोई समां बनादो
या फिर बस मेरे लिए अये दोस्त मौत बुलादो...

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